जागरण

buddhaकहते हैं कि ज्ञान प्राप्ति के बाद भगवान् बुद्ध जब एक गाँव से गुज़र रहे थे तब एक किसान उनके रूप और व्यक्तित्व की सुगंध से प्रभावित होकर उनके समीप आ गया.

“मित्र, आप कौन हैं?” – किसान ने बुद्ध से पूछा – “आपके समीप मुझे ऐसी अनुभूति हो रही है कि मैं किसी देवता या ईश्वर के सम्मुख उपस्थित हूँ”.

“मैं इनमें से कोई नहीं हूँ” – बुद्ध ने उत्तर दिया.

“फिर आप अवश्य ही मायावी शक्तियों से संपन्न होंगे”.

“नहीं, मैं मायावी भी नहीं हूँ.”

“तो फिर आपमें ऐसा क्या है जो मुझ जैसे साधारण किसान को भी सहज ही दृष्टिगोचर हो रहा है”.

“मैं केवल इस जीवन की सुप्तावस्था से जाग गया हूँ. यही सत्य है जिसे मैं सबको बताता हूँ पर कोई मेरा विश्वास नहीं करता”.

(An anecdote of Lord Buddha – in Hindi)

There are 4 comments

  1. aradhana

    काश इस युग में भी कोई मानव को ये बता सकता कि जागरण क्या होता है… मानव तो अब भी सो रहा है… हम, आप, हमारे चारों ओर के और लोग सब सो रहे हैं… एक-दो भी जाग जाएँ तो सृष्टि का कल्याण हो जाए… आभार ये प्रेरक प्रसंग पढवाने के लिए.

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