एक पिता अपने 25 वर्षीय पुत्र के साथ रेलगाड़ी से कहीं जा रहा था.
लड़का खिड़की पर बैठकर बाहर की चीज़ों को बड़े कौतूहल से देख रहा था. बीच-बीच में वह अपने पिता की और देखकर चिल्लाता – “पापा! देखो पेड़ पीछे भागे जा रहे हैं!”.
पिता अपने बेटे को मुस्कुराते हुए बहुत प्यार से देखता.
बेटे ने एक बार फिर से चिल्लाकर कहा – “पापा! देखो सूरज और बादल भी हमारे साथ चल रहे हैं!”.
सामनेवाली सीट पर बैठे हुए यात्री यह सब कुछ देर से देख रहे थे. उनमें से एक से जब रहा न गया तो वह पिता से बोला – “आपके लड़के को शायद कुछ समस्या है. आपने उसे कभी किसी डॉक्टर को नहीं दिखाया?”
पिता ने उत्तर दिया – “हम अभी अस्पताल से छूटकर ही आ रहे हैं. यह दो साल की उम्र में अपनी आँखें खो बैठा था और कल ही इसने देखना शुरू किया है”.
(A motivational / inspirational anecdote of a father and his son – in Hindi)
(~_~)
A 25 year old boy seeing out from the train’s window shouted, “Dad, look the trees are going behind!”
Dad smiled and a young couple sitting nearby, looked at the 25 year old’s childish behaviour with pity, suddenly he again exclaimed, “Dad, look the clouds are running with us!”
The couple couldn’t resist and said to the old man, “Why don’t you take your son to a good doctor?”
The old man smiled and said, “I did and we are just coming from the hospital, my son was blind from birth, he just got his eyes today.”
सन्न!
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आह – क्या बात कह दी निशान्त जी आपने।
सादर, श्यामल सुमन
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धन्यवाद
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कहानी अच्छी है
पुत्र की उम्र 25 से कम हो जाये तो और ठीक लगेगा
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बेहतरीन कथा …. सत्य से आखें मूँदें लोगों की आँखे खोलने में सक्षम !
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बहुत सुन्दर प्रस्तुति
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भीतर तक झक्झोर देने वाली कहानी थी जी आपकी। समाज की बंद आँखें खोल देने वाली बात।
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बहुत सुंदर बोधकथा है।
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किसी ने फ़ोरवर्ड की थी ये कहानी… फ़िर से पढना भी उतना ही सुन्दर लगा!! अच्छी चीजे बीनते हो मित्र..
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निशांत भाई उम्दा लेखन। हिला दिया भाई आपने।
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U wont believe me – – – agar aaj bhi mein kisi train mein yaatra karu I wud be stunned to see that trees r gng back n d moon is walking wd me… mujhey aaj bhi ye sab utna hi nayaa and ajeeb aur khubsurat lagta hai jitna shayad pehli baar laga hoga… har cheez ko ek bachhe ki nigaah se dekhne aur uska aanand lene mein ek alag hi maza hai… meri mom hamesha kehti hain — bacche ki tarah banane mein ek sukh hai 🙂
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some time others do n’t know the behind things and makes comments and then faces this type of situation
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umda rachna. padhkar man ekdum sukhad ahsas se bhar gaya.
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क्या आप के पास ये संवाद है–
“पिता और छात्रावास में रहता हुआ बच्चा जो कक्षा में प्रथम आया है”
ईनके बीच संवाद। अगर है तो कृपया बताईए।
और कहानी बहूत अच्छी है।
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