लाजवाब बात कही निशांत भाई। बहुत ही अच्छा। कम ब्लॉग हैं, जिनकी लेखनी में श्रद्धा भाव चंद पंक्तियां पढ़ते ही जाग जाता है। आपका ब्लॉग मेरी लिस्ट में ऐसे ही ब्लॉग्स में से है। एक शब्द में कहूं, तो ‘लाजवाब’।
आपके शब्दों में, आपकी कही बातों में हमेशा गहराई होती है। गंभीर लेखन, सार्थक प्रयास और संस्कारित कोशिश सृजन करती है। आप ब्लॉगिंग में कुछ सृजित करने वालों में हो। जुटे रहो। मैं आपको हमेशा पढ़ता रहंू, अपने आप से यही चाहंूगा।
वाह .. इस रुकी हुई घड़ी ने रोक दिया .. आभार !
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लाजवाब बात कही निशांत भाई। बहुत ही अच्छा। कम ब्लॉग हैं, जिनकी लेखनी में श्रद्धा भाव चंद पंक्तियां पढ़ते ही जाग जाता है। आपका ब्लॉग मेरी लिस्ट में ऐसे ही ब्लॉग्स में से है। एक शब्द में कहूं, तो ‘लाजवाब’।
आपके शब्दों में, आपकी कही बातों में हमेशा गहराई होती है। गंभीर लेखन, सार्थक प्रयास और संस्कारित कोशिश सृजन करती है। आप ब्लॉगिंग में कुछ सृजित करने वालों में हो। जुटे रहो। मैं आपको हमेशा पढ़ता रहंू, अपने आप से यही चाहंूगा।
शुक्रिया
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This is really a nice thought nothing is absolute.
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हमेशा तेज़ चलने वाली घड़ी के बारे में क्या?
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अनुराग जी, जो जितना तेज चलेगा उसे उतनी ही ज्यादा ऊर्जा की आवश्यकता होगी.
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मेरा पॉइंट सही वक़्त के बारे में था।
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