एक दिन बुद्ध ने भूमि पर घिसटते हुए एक लंगड़े योगी को देखा.
“मैं अपने पापों का फल भोग रहा हूँ” – योगी ने कहा.
“तुमने कितने पापों का फल भोग लिया है?”
“यह तो मैं नहीं जानता”.
“और कितने पापों का फल भोगना शेष है?”
“मैं यह भी नहीं जानता”.
“बस करो. अब रुकने का समय आ गया है. ईश्वर से क्षमा माँगना बंद करो और उनसे क्षमा मांगो जिन्हें तुमने आहत किया”.
(A motivational / inspirational anecdote of Lord Buddha – in Hindi)
सही सीख!
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बहुत अच्छा लगा – धन्यवाद
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बिल्कुल सही ..
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nice
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सुन्दर!
अपने आस-पास बिखरे ईश्वर से बेखबर आसमान से फरियाद करना तो कोई आस्तिक कृत्य नहीं!!
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kshma dan se kshma magne vala bada hota hai, usse sare upradh smapat ho jate hai.
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I have already translated this into Tibetan language, may I have to the right to do it?
http://www.khabdha.org/?p=9238
you can see it in Tibetan
From: Kyab
Dawashonu
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aap gazeb ka kam kar rahe hain, bahut bahut sadhuvad aur shubhkamnaye.
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आप जीसका दोषी हो उनसे
माफी मागो भगवान से नहीं.
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