मुझे फलों के चित्र बनाना अच्छा लगता है. वे चुपचाप दीवार पर टंगे हुए अपने रंग उड़ने की माफी मांगते हैं. उनकी सुगंध से विचार जन्म लेते हैं. इन चित्रों में वे अपनी खुशबू लेकर आते हैं और उनकी छूटी हुई ज़मीन, बारिश की जीवनदायिनी फुहारें, व अंधेरे को तोड़ते सूर्योदय की बातें करते हैं. – पॉल सेजां
(A quote on the paintings of fruits – Paul Cezanne – in Hindi)
विचारणीय व उम्दा कलाकारी /
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सेज़ां को कई बार देखा है और हर बार मज़ा आता है देखने में “amitraghat.blogspot.com
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बहुत बढ़िया.
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यही भाव पोस्ट लिखने की क्रिया में भी आते हैं। पोस्ट मुझसे पूछती कहती है कि जरा सा यह बदल दो, जरा सा वह लगा दो।
बात करती लगती है।
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