~ सच्चा कवि काव्यात्मकता की परवाह नहीं करता. किसी माली को भी अपने गुलाबों पर सुगंध छिड़कने की ज़रुरत नहीं होती. कलाकार के लिए अपनी कला का वर्णन करना किसी पौधे के लिए वनस्पति विज्ञान की चर्चा करने जितना ही मुश्किल है.
~ आम लोग जिसे पागलपन कहते हैं वह मेरे लिए ज्ञान की चरमसीमा है.
~ सभी समाजों में यह प्रवृत्ति पाई जाती है कि वे पूर्णतः मुक्त व्यक्ति को बाँधकर रखना चाहते हैं. पहले तो वे उसे परास्त करने की कोशिश करते हैं. उसमें असफल रहें तो उसे विषपान कराते हैं. यदि वे इसमें भी असफल हो जाते हैं तो उनके पास एक ही उपाय बचता है – वे उसे सम्मानों और पारितोषकों के बोझ तले दबा देते हैं.
~ कवि तुमसे प्रशंसा के शब्द नहीं सुनना चाहता. वह चाहता है कि तुम उसपर यकीन करो.
~ कला कुरूप वस्तुओं और विचारों की रचना है जिनमें समय के साथ सौंदर्य जन्म लेता है. दूसरी ओर, फैशन सुंदर वस्तुओं को निर्मित करता है जो धीरे-धीरे कुरूप होती जातीं हैं.
~ एक साधारण विषय-वस्तु को चुनो. उसे झाड़ो-पोंछो, पोलिश करो, चमकाओ – उसमें वही ताजगी, कमनीयता, और सहजता आ जाएगी जो उसके भीतर पहले से ही मौजूद थी. तब तुम पाओगे कि तुमने कवि का कर्म कर दिया है. अब जो सामने आया है वह साहित्य है.
~ जिस कला को तुम अपने समय से बहुत आगे की मानते हो, समय उसके ठीक पीछे ही खड़ा होता है.
~ जीवन की असल त्रासदियाँ वे हैं जिनका हमारे बंधे-बंधाये विचारों से कोई सम्बन्ध नहीं होता. उनके घटित होते समय हम उनकी सरलता, विहंगमता, और बेतुकेपन से हतप्रभ हो जाते हैं.
~ मनुष्य मिथकों की तरफ भागता है. वहां पलायन करने के लिए उसने कई रास्तों की ईजाद की है. वे हैं – ड्रग्स, शराब, और झूठ. जब वह खुद की ओर नहीं लौट पाता है तो खुद को ही छुपा लेता है. उसके झूठ और गलतियाँ उसे राहत के चंद लम्हे मुहैया कराते हैं.
~ मैं वह झूठ हूँ जो हमेशा सच बोलता है.
(यह इस पोस्ट का अनुवाद है)
(Quotes of Jean Cocteau – in Hindi)
ठीक कहा आपने
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मैंने नहीं. ज्यां कॉक्त्यू ने.
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बहुत बढ़िया , माली को अपने गुलाबों पर सुगंध छिड़कने की क्या आवश्यकता …और ये भी सच है , अभाव की वाणी ही तो सर चढ़ कर बोलती है , कुरूप वस्तुओं को भी एक कवि सहज सौन्दर्य बोध दे देता है क्योंकि वो उसका सार पकड़ लेता है , यानि भाव ही वो शय है जो सुन्दर भी है और कविता भी है ।
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जन्मदिन की हार्दिक बधाई।
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सुन्दर चिन्तन।
सादर, श्यामल सुमन
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बहुत बढ़िया..
एक अपील:
विवादों को नजर अंदाज कर निस्वार्थ हिन्दी की सेवा करते रहें, यही समय की मांग है. हिन्दी के प्रचार एवं प्रसार में आपका योगदान अनुकरणीय है, साधुवाद एवं अनेक शुभकामनाएँ. – समीर लाल ’समीर’
शायद आज आपका जन्म दिवस है. अनेक बधाई एवं शुभकामनाएँ.
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very nice post !
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Very beautiful translation Nishan…
got to know from a comment that its your b’day today.. Many many happy returns of the day man!!
keep on rocking 🙂
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Thanx Pankaj. My B’day was on 10th of May.;)
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ohh.. chalo then a belated one 🙂 Hope you had a blast and would love to see hindizen growing day by day… keep on rocking .. enough wishes na? 🙂 kidding.. enjoy buddy
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sahi aur sach kaha aapne main sahmat hoon…
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बहुत खूब….
बेहतरीन अनुवाद….
अनु
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वाह बहुत खूब…..हम तक पहुँचाने के लिए बहुत बहुत आभार
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