जो बीत गई सो बात गई
जीवन में एक सितारा था
माना वह बेहद प्यारा था
वह डूब गया तो डूब गया
अम्बर के आनन को देखो
कितने इसके तारे टूटे
कितने इसके प्यारे छूटे
जो छूट गए फिर कहाँ मिले
पर बोलो टूटे तारों पर
कब अम्बर शोक मनाता है
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में वह था एक कुसुम
थे उसपर नित्य निछावर तुम
वह सूख गया तो सूख गया
मधुवन की छाती को देखो
सूखी कितनी इसकी कलियाँ
मुर्झाई कितनी वल्लरियाँ
जो मुर्झाई फिर कहाँ खिली
पर बोलो सूखे फूलों पर
कब मधुवन शोर मचाता है
जो बीत गई सो बात गई
जीवन में मधु का प्याला था
तुमने तन मन दे डाला था
वह टूट गया तो टूट गया
मदिरालय का आँगन देखो
कितने प्याले हिल जाते हैं
गिर मिट्टी में मिल जाते हैं
जो गिरते हैं कब उठतें हैं
पर बोलो टूटे प्यालों पर
कब मदिरालय पछताता है
जो बीत गई सो बात गई
मृदु मिटटी के हैं बने हुए
मधु घट फूटा ही करते हैं
लघु जीवन लेकर आए हैं
प्याले टूटा ही करते हैं
फिर भी मदिरालय के अन्दर
मधु के घट हैं मधु प्याले हैं
जो मादकता के मारे हैं
वे मधु लूटा ही करते हैं
वह कच्चा पीने वाला है
जिसकी ममता घट प्यालों पर
जो सच्चे मधु से जला हुआ
कब रोता है चिल्लाता है
जो बीत गई सो बात गई.
(‘Jo Beet Gayi So Baat Gayi’ – A very famous poem of Dr. Hrivansh Rai Bachchan)
बच्चन जी की बहुत ही प्रेरक एवं प्रसिद्ध रचना ! आज बड़े दिनों के बाद आपके सौजन्य से पढने को मिली ! आपका बहुत बहुत धन्यवाद एवं आभार !
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bahut bahut badhai
shekhar kumawat
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आभार इस रचना को प्रस्तुत करने का.
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1987 mein ye rachna suni thi.. Poori rachna padh kar sukh mila .Dhanyavaad aivam badhaai. Dr.A.B.Chaubey ,Charkhari Mahoba
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बच्चन जी ने ही यह भी कहा है –
जीवन का यह पृष्ठ पलट मन
इसपर जो थी लिखी कहानी
वह अब तुझको याद ज़ुबानी
बार बार पढ़ कर क्यों इसको
व्यर्थ गंवाता जीवन के क्षण.
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Very nice. This is actually one of my favorite poems. Thanks a ton.
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हां, सिर झटकें आगे बढ़ें। बहुत कुछ है देखने-समझने और चुनौती स्वीकारने को।
बच्चन जी के माध्यम से यह री-इनफोर्स तो हुआ।
धन्यवाद।
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behtar prayas aur achhi rachana ke liye saduvaad.
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jeewan ke is utar chadho ke safar me jab kabhi aap easi kavitao ko gun gun nate hai toh mann aur chit dono anandit ho jata hai
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bhut acha laga
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very very motivational, thanks
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aisi prerak kavita ke liye shukriya
hume ye blog bahut bahut pasand aaya , aasha hai aap aise post jari rakhenge .
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thanks 4 this.
it’s beautiful poem.
i realy like it.
i hope u post more poem.
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bacchan ji mere sabase priy kavi
hai aur mujhe unki is kavita ko padhkar utna hi aanad mila jitna madhushala ki ek ek panktiyo ko padhkar hota hai……………..thank u sooooo much
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anmol kabita hai
sanjeev bahadur sinha
patna:paterhi:
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bahut hi prerana dayak kavita ,
hume Bachchan ji ki ek aur kavita bhi bahut acchi lagati hai
nar ho na nirash karo man ko
Bachchan hindi shahitya ke ek atoot bhag hai .
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great poem
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VERY NICE POEM
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I LOVE DIS POEM SINCE MY CHILDHOOD 🙂 ITS THE BEST INSPIRATION BACCHAN SIR HAS WRITTEN IN HIS WORDS JUST LOVE IT AND WILL ALWAYS DO!
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I LOVE DIS POEM
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A MIND OPENER………AWESOM
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jivan ke is talmel ko,
aaj bataya hai aapne,
kal kisne dekha hai,
socha humne aaj hai.
jo bit gai so bat gai……thaks sir
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आभार इस रचना को प्रस्तुत करने का.
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Jivan ko nai prerna mili hai is kavitase Thanks
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क्या खुब कही बच्चनजी नें
सब की मन की बातें
कुछ ने इसे भुलादिया
कुछ को याद नहीं रही
जो बित गई सो बात गई ।
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