जीवन में दुःख है और पराजय भी है… इनसे कोई भी नहीं बच सकता. लेकिन अपने सपनों के लिए लड़ते हुए कुछ मोर्चों में हार जाना बेहतर है यह जाने बिना हार जाने के कि हम किसके लिए लड़ रहे हैं.
“जीवन में दुःख है और पराजय भी है… इनसे कोई भी नहीं बच सकता. लेकिन अपने सपनों के लिए लड़ते हुए कुछ मोर्चों में हार जाना ही बेहतर है अगर हम यह ही नही जान सकते कि हम लड़ किसके लिए रहे हैं.”
दुख और पराजाय इससे कोइ बच पाना केवल इस तथ्य को उजागर करती है कि जैसा सोच वैसा कर्म औेर जैसा ही कर्म तैसा ही फल ।
जाने बगैर लड़ना सपनों के मोर्चे की हार को बेहतर करार देना का अर्थ यह हुआ कि कर्म की चिन्ता करो फल की नही, मनुष्य का अधिकार कर्म पर है ना कि फल की आस मे कर्म करना । कोयलो जी का कथन श्रीभगवत गीता पर भले ही अधारित हो मगर सच बात सच ही होता है चाहे इसका वर्णन अमुक ग्रन्थ मे हो या न हो ।
वाँगचुक शमशू
पढ़ने में कुछ गड़बड़ लग रहा है..एक बार फिर से पढ़िये तो जरा.
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समीर जी, मुझे तो ठीक लग रहा है. देखें, और कोई टिप्पणीकार क्या कहते हैं.
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निशान्त जी – ठीक से समझ नहीं पाया बातों को – कहीं आप “दो कदम आगे एक कदम पीछे” वाली तो नहीं कह रहे हैं?
सादर
श्यामल सुमन
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कुछ अनुवाद की कोशिश मैंने भी की.. ‘Than’ वाला मामला अटक रहा हे.. अंतिम दो वाक्य जुड़ नहीं रहे..
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अब तो मैं ही चकरा गया हूँ. क्या जिसे मैं सीधा-सादा समझ रहा हूँ वह वाकई बहुत टेढ़ा है? और कोई जानकार है क्या?
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“जीवन में दुःख है और पराजय भी है… इनसे कोई भी नहीं बच सकता. लेकिन अपने सपनों के लिए लड़ते हुए कुछ मोर्चों में हार जाना ही बेहतर है अगर हम यह ही नही जान सकते कि हम लड़ किसके लिए रहे हैं.”
शायद यह कुछ कम कन्फ़्यूजिग हो..
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शायद…:)
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परफेक्ट…
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दुख और पराजाय इससे कोइ बच पाना केवल इस तथ्य को उजागर करती है कि जैसा सोच वैसा कर्म औेर जैसा ही कर्म तैसा ही फल ।
जाने बगैर लड़ना सपनों के मोर्चे की हार को बेहतर करार देना का अर्थ यह हुआ कि कर्म की चिन्ता करो फल की नही, मनुष्य का अधिकार कर्म पर है ना कि फल की आस मे कर्म करना । कोयलो जी का कथन श्रीभगवत गीता पर भले ही अधारित हो मगर सच बात सच ही होता है चाहे इसका वर्णन अमुक ग्रन्थ मे हो या न हो ।
वाँगचुक शमशू
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आप बिलकुल सही कह रहे है मै आपकी इस बात से सहमत हूं
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tum sabhi bakwaas kar rahe ho mujhe to yahi lagta hai
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जब मनुष्य का युद्ध अपने आप के साथ आरंभ होता है तब उसका कुछ मूल्य होता है।
hum hamesa apne aap se hi ladte hai
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