जिसे नहीं कुछ चाहिए, वही बड़ा धनवान।
लेकिन धन से भी बड़ा, दुनिया में इन्सान।
चारों तरफ़ मची यहाँ भारी रेलमपेल।
चोर उचक्के खुश बहुत, सज्जन काटें जेल।
मतलब की सब दोस्ती देख लिया सौ बार।
काम बनाकर हो गया, जिगरी दोस्त फ़रार।
तेरे करने से नहीं, होगा बेड़ा पार।
करने वाला तो यहाँ, है केवल करतार।
कर सकते हो तो करो, आत्मा से अनुराग।
यही सीख देता हमें, गौतम का गृह-त्याग।
(A poem of Ramanath Awasthy)
जिसे कुछ नहीं चाहिए …वही बड़ा धनवान …
बहुत सुन्दर प्रेरक कविता …!!
पसंद करेंपसंद करें
बहुत बढ़िया रचना अवस्थी जी की…पढ़वाने क आभार!
पसंद करेंपसंद करें
बहुत अच्छी कविता…सीधे-सादे शब्दों में…शिल्प भी अच्छा है. दोहे हैं न? उनका कविता के लिये इस्तेमाल हुआ है.
पसंद करेंपसंद करें
‘मेरे पंख कट गये हैं’ पढ़ने के बाद रमानाथ अवस्थी जी से बहुत प्रभावित हूँ ।
यह भी सुन्दर ।
पसंद करेंपसंद करें
nice
पसंद करेंपसंद करें
सरल शब्दों में बहुत प्रेरक सन्देश देती है ये कविता.
पसंद करेंपसंद करें
neeti parak ,sundar bodh kvitaa .
mubaark .
veerubhaai
पसंद करेंपसंद करें
सरल एवं सुन्दर | बहुत सुन्दर !
पसंद करेंपसंद करें
अच्छे से दोहे…आभार…
पसंद करेंपसंद करें
धनवान = उपलब्ध धन/धन की इच्छा
आप उपलब्ध धन बढ़ा कर या धन की इच्छा कम कर ध्येय प्राप्त कर सकते हैं! 🙂
पसंद करेंपसंद करें
धन से भी बड़ा, दुनिया में इन्सान।,,पर कोई समझता कहाँ है,,जिसके पास धन,,उसीकी धन धन …
पसंद करेंपसंद करें