ईसा मसीह ने एक दिन सुबह-सुबह एक झील के किनारे एक मछुआरे को मछलियाँ पकड़ते देखा. मछुआरा झील में जाल डाले बैठा हुआ मछलियाँ फंसने का इंतज़ार कर रहा था. ईसा ने उसके कंधे पर हाथ रखा और उससे पूछा – “भाई, कब तक मछलियाँ मारते रहोगे”?
मछुआरे ने पलटकर देखा. ईसा की आँखें उसे झील से भी गहरी लग रहीं थीं. उसने सोचा कि नदी में पड़े जाल को छोड़कर इन आँखों में ही खुद को डूबा दूं. उसने जाल वहीं छोड़ दिया और ईसा के साथ हो लिया. उसने ईसा से कहा – “मैं आपके साथ चलूँगा. यदि ज़िदगी में मछलियाँ पकड़ने से भी बड़ा कोई काम मेरे लिए करना बाकी है तो मैं वह करूंगा.
वे दोनों गाँव के बाहर निकले ही थे कि उस मछुआरे का एक परिचित दौड़ता हुआ आया और उससे बोला – “अरे, तुम कहाँ जा रहे हो!? तुम्हारे बीमार पिता की मृत्यु हो गई है और अब तुम्हें ही उनके कफ़न-दफ़न का इंतज़ाम करना है! चलो मेरे साथ!”
मछुआरे ने ईसा मसीह से कहा – “यदि आप अनुमति दें तो मैं पिता का अंतिम संस्कार करने के बाद तीन-चार दिन गाँव में ठहरकर आपके पास आ जाऊं?”
ईसा मसीह ने कहा – “नहीं भाई. अब पलटकर क्या मिलेगा? मुर्दों को ही मुर्दों को दफनाने दो. जिन्हें अभी जीवन का पता ही नहीं है वे मृत नहीं तो और क्या हैं? हम तो जिस दिन पैदा होते हैं उसी दिन ही मर जाते हैं. Let the dead bury their dead.”
(An inspirational/motivational story of Jesus Christ – Hindi)
प्रेरक प्रसंग।
सादर
श्यामल सुमन
09955373288
http://www.manoramsuman.blogspot.com
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ईश्वर के लिये ऐसी आसक्ति अच्छी नहीं। यह कार्य को करना है अन्यथा बिमारी बदबू से से सारा समाज दूषित होगा।
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मुर्दा दिल क्या खाक जिया करते हैं …प्रेरक कथा …!!
मगर क्या किया जाए ….
लोकाचार में तो जिन्दों को ही मुर्दे दफ़नाने जाना पड़ता है …:)
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Let the dead bury their dead..GooD!!
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bahut hi gahan baat kahi………lajawaab.
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Prerak Vichar.
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2009 के श्रेष्ठ ब्लागर्स सम्मान!
अंग्रेज़ी का तिलिस्म तोड़ने की माया।
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Aabhaar.
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2009 के श्रेष्ठ ब्लागर्स सम्मान!
अंग्रेज़ी का तिलिस्म तोड़ने की माया।
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यही सन्यासयोग का मूल है।
रामकृष्ण परमहंस के पैरॉबल्स में भी ऐसा ही है!
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life is in present,live in present and bury the hatchet
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अत्यन्त सुन्दर प्रसंग । मन को निस्पृह करने की सच्ची जगह है आपका ब्लॉग ! आभार ।
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Hi
Main aapke blog ko lagatar follow karta hoon, par is baar ke vichar thode samajh se pare rahe. Aap agar mail ke dwara is prasang pe thoda prakash dalenge, to main apka abhari rahoonga.
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Kai baar padha is prasang ko par sach kahun,koi spasht ek raay kaayam na kar paayi…
Mujhe lagta hai iishwar bhakti jitni aawashyak hai,utni hi aawashyak lokachaar tatha kartaby nirwahan bhi hai….yadi sabhi santaan apne murde pita ko murda samajh tiraskaar karne lagen,to duniya ka kya haal hoga???
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बात कुछ जमीं नही
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निशांत जी,
निर्मल और मनोरम है आपका ब्लॉग, खूब मेहनत की है, बढ़िया ! बधाई !
जंहा तक फानी दुनिया की सच्चाई का सवाल है वो तो योगमाया है उसे भेद पाना दिनानुदिन और ज्यादा दुह्साध्य है क्योकि नित नए साधन सहूलियत के पैदा होते जा रहे है जो जकडन को तीब्र ही करेंगे तो भी प्राणी मात्र को चाहिए की रहते हालत में प्रयास जारी रखे तो ही सफलता भी मिल सकती है और इस कार्य में निरंतर आपका ब्लॉग नहीं ज्यादा तो कमसकम सचेतक की भूमिका बाखूबी निभाता दिखता है / थैंक्स/
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prabhu itna mahan kya kaam karvana chah rahe the bechaare machuhare se?
murakh ‘dead’ ko kshama karein prabhu par, bada kaam yaahan kahin nithalon ki tarah goomna to nahin?
yakinan kahanikar ne ‘kabir’, ‘ramdas’… naam to sune hi nahi honge.
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Nishantji bahut aachha.
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God Loves You; Parmeshvar ne Jagat se aisa Prem kiya ki usane apna ek lauta putara jagat ko de ditya Ki jo koi uspe Vishvas kare vo nash na ho par Anant Jivan paye [John3:16]
Jesus Said: Mai jivan dene ayya hu ki tum Jio [John 10:10]I am the Life True and Way [John 14:6]
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