ग़ज़ल – दुष्यंत कुमार

old boatइस नदी की धार में ठंडी हवा आती तो है,
नाव जर्जर ही सही, लहरों से टकराती तो है।

एक चिंगारी कहीं से ढूँढ लाओ दोस्तों,
इस दिए में तेल से भीगी हुई बाती तो है।

एक खंडहर के हृदय-सी, एक जंगली फूल-सी,
आदमी की पीर गूंगी ही सही, गाती तो है।

एक चादर साँझ ने सारे नगर पर डाल दी,
यह अंधेरे की सड़क उस भोर तक जाती तो है।

निर्वचन मैदान में लेटी हुई है जो नदी,
पत्थरों से, ओट में जा-जाके बतियाती तो है।

दुख नहीं कोई कि अब उपलब्धियों के नाम पर,
और कुछ हो या न हो, आकाश-सी छाती तो है।

– दुष्यंत कुमार

(A ghazal / Urdu poem of Dushyant Kumar – in Hindi)

There are 31 comments

  1. डॉ. रामकुमार सिंह

    तब मैं साहित्य का नहीं, विज्ञान का विद्यार्थी था। पहली बार दुष्यंत कुमार का नाम पता चला जब ग्वालियर में श्रीमती अंजना मिश्र ने ‘दुष्यंत जयंती’ मनाई। मैं और मेरे साथी दुष्यंत को शकुंतला वाला दुष्यंत समझे थे। फिर ‘साये में धूप’ हाथ आयी और एक सिलसिला चल पड़ा। कई गजलों को लयबध्द करके गाया भी। जुमले की तरह दुष्यंत की पंक्तियों का जमकर इस्तेमाल भी किया। एक-दो वर्ष बाद पत्रकारिता करते हुए दुष्यंत पर अग्रलेख डॉ. राम विद्रोही जी के सम्पादन में प्रकाशित दैनिक आचरण में प्रकाशित हुआ।
    दुष्यंत : सामाजिक पीड़ा की प्रखर अनुभूति
    रामकुमार सिंह/ 1 सितम्बर, सन 2000/दैनिक आचरण (ग्वालियर/सागर)/सन्दर्भ : ‘साये में धूप : दुष्यंत कुमार त्यागी/राधाकृष्ण प्रकाशन – सन् 1975
    बिना कोई परिवर्तन किये आज ज्यों का त्यों रिलीज कर रहा हूँ………………….कृपया ‘सर्जना’ पर पधारें।
    -डॉ. रामकुमार सिंह

    पसंद करें

  2. Anubhav Pandey

    दुष्यंत कुमार जी एक बहोत ही प्रसिद्ध गजलकार हैं। उनकी गजल सुनने और पढ़ने में एक अद्भुत आनंद की प्राप्ति होती है ।और एक बात उनकी गजल को पढ़कर गजल के एक एक शब्द दिल और मन को छू जाते है ।यही सबसे बड़ी विशेष्ता है उनकी गजल की। 🙏🙏शत शत नमन उनकी गजल के लिए और उनके मुँख से निकले अल्फाज के लिए ??________________—-

    पसंद करें

टिप्पणी देने के लिए समुचित विकल्प चुनें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.