माइकलेंजेलो की कलासाधना

sistine chapel


जिन लोगों को इटली के सिस्टाइन चैपल (गिरजाघर) में जाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है वे उसकी भीतरी छत पर अंकित कलाकृतियों को देखकर दांतों तले उंगली दबा लेते हैं. बाइबिल में वर्णित सृष्टि की पूरी कथा वहां पर चित्रों में अंकित है. ‘क्रियेशन ऑफ़ एडम’ चित्र विश्व के अत्यंत प्रसिद्द चित्रों में गिना जाता है और अद्भुत है. चैपल की छत पर तीन सौ से भी अधिक चित्र हैं जिनमें से कुछ तो अठारह फुट तक लम्बे हैं.

इन कलाकृतियों के महान चित्रकार माइकलेंजेलो का जन्म इटली में फ्लोरेंस के एक गरीब घर में हुआ था. वे चित्रकार के साथ अत्यंत कुशल मूर्तिकार भी थे. कहा जाता है कि वे मानव के शरीर की रचना के पूर्ण अध्ययन के लिए श्मशान से गडे मुर्दे भी उखाड़ लाते थे और उनकी चीर-फाड़ करके शरीर रचना का गहन अध्ययन करते थे. यह बहुत ही वीभत्स कर्म था और ऐसा करते समय कई बार तो उन्हें उलटी भी आ जाती थी. पागलपन की हद तक वे इस काम में जुटे रहे और इसके फलस्वरूप उनकी कला में शरीर की एक-एक नस और मांसपेशी का वास्तविक चित्रण हो पाया है.

माइकलेंजेलो को अपूर्व ख्याति, कीर्ति और धन-वैभव भी मिला. परन्तु अपनी कलासाधना में वे इतना डूब चुके थे कि उन्होंने कभी भी अच्छे बिस्तर पर सोने और अच्छा भोजन करने का आनंद नहीं लिया.वे दिनरात कला में ही जीते रहे. उनकी कला में शारीरिक लक्षण प्रधान है लेकिन कामभावना और वासना का चित्रण नहीं है.

सिस्टाइन चैपल में छत पर इतने विशाल पैमाने पर चित्रकारी करने का काम लगभग असंभव था. पांच सौ साल पहले आज की  तरह उपलब्ध उपयोगी वस्तुओं का अभाव था. माइकलेंजेलो कई वर्षों तक लकडी के मचानों पर पीठ के बल लेटकर चित्र बनाते रहे. इन चित्रों को देखकर उनकी श्रेष्ठ कला और असाधारण सामर्थ्य का प्रशंसक कौन नहीं बनेगा? माइकलेंजेलो के बाद अनेक महान चित्रकारों ने उनकी कला का अनुसरण किया लेकिन उनकी साधना की सीमा कोई न छू सका.

(A post about the art and toils of Michelangelo Buonarroti – in Hindi)

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