ईसापूर्व भारत में मगध के सम्राट बिंबिसार की राजधानी कुशागपुर में थी. एक समय नगरी पर एक विचित्र विपत्ति टूट पड़ी. किसी-न-किसी के घर में रोज़ ही आग लग जाती थी. नगरवासियों के सावधान रहने पर भी कहीं-न-कहीं आग लगती रहती थी. बिंबिसार ने बहुत जांच-पड़ताल करवाई लेकिन आग लगने के कारणों का पता नहीं चला.
बिंबिसार ने सोचा कि नगरवासी यदि सतर्क रहेंगें और अपने घरों की रक्षा करेंगे तो आग लगने की घटनाओं पर अंकुश लग सकेगा. उन्होंने सारे नगर में घोषणा करा दी कि जिस व्यक्ति के घर में आग लगेगी उसे नगर के बाहर श्मशान में रहना पड़ेगा.
संयोगवश एक दिन राजभवन में ही आग लग गई. बिंबिसार उसी दिन राजभवन छोड़कर श्मशान में रहने की तैयारी करने लगे. मंत्रियों एवं परामर्शदाताओं ने उन्हें मनाने का प्रयास किया और राजभवन न त्यागने के लिए कहा लेकिन वे नहीं माने.
बिंबिसार ने सभासदों से कहा – “मेरा आदेश प्रत्येक कुशागपुर वासी के लिए था. इस नगर का शासक और निवासी दोनों होने के कारण मेरा प्रत्येक आदेश और हर नियम मुझपर भी लागू होता है. मैं अपने बनाए किसी भी नियम का उल्लंघन नहीं कर सकता. यदि राजा ही नियमों और मर्यादाओं का पालन नहीं करेगा तो प्रजा अनुशासन का पालन क्यों करेगी?”
इस प्रकार सम्राट बिंबिसार श्मशान में रहने लगे. उनकी अनुशासनप्रियता और कर्तव्यपरायणता ने प्रजा के ह्रदय में अपार श्रद्धा पैदा कर दी. परंतु मगध के शत्रुओं को ऐसे में मगध पर आक्रमण करने का अवसर मिल गया. अपने प्रिय राजा और राज्य की रक्षा के लिए सभी नागरिक राजधानी छोड़कर श्मशान भूमि में रहने लगे.
मगध के शत्रु समझ गए कि ऐसे गुणी राजा और उसकी प्रजा को परास्त करना संभव नहीं है. वे पीछे हट गए. बाद में उस श्मशान भूमि पर ही मगध की नई राजधानी बन गई जो प्राचीन काल में राजगृह के नाम से विख्यात थी.
(An anecdote about King Bimbisara of Magadh – in Hindi)
काश ! ऐसे राजा के गुणों का किंचित अंश मात्र भी आज का नेतृत्व ग्रहण कर पाता ।
बिंबिसार के अनुकरणीय चरित्र का उद्घाटन, साथ ही राजगृह के बसने की जानकारी कराती प्रविष्टि । आभार ।
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आभार इस आलेख के लिए.
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itihas aur mithak mein dubki lgana achha lagta hai. dubki lga kar bahar nikal aana bhi jaroori hota hai.
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bhoot sundar article……..hope our so-called leaders will take some lessons from this…..
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keep it up buddy.
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Yesi hi zaroot hai aaj ki prajza ki.
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this story so good
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