बग़दाद के ख़लीफा हारून-अल-रशीद अपनी न्यायप्रियता के लिए प्रसिद्द थे. दूर-दूर के देशों तक उनकी ख्याति थी. वे रात को वेश बदलकर नगर में घूमते थे ताकि जनता के दुःख-दर्द का पता लगा सकें.
उसी नगर में अली ख्वाज़ा नाम का एक व्यापारी रहता था. उसने हज यात्रा पर जाने का निश्चय किया तो अपना सारा सामान बेच दिया. यात्रा का खर्चा निकालने के बाद उसके पास एक हज़ार अशर्फियाँ बच गईं. उसने उन्हें एक घड़े में रखकर ऊपर से जैतून के फल रख दिए और उसे बंद करके नगर के एक परिचित व्यापारी के घर बतौर अमानत रख दिया.
सात साल बाद अली जब हज यात्रा से लौटा तो उसने व्यापारी के घर से अपना घड़ा वापस ले लिया. घर जाकर घड़ा खोला तो उसमें एक भी अशर्फी नहीं मिली. व्यापारी तो साफ मुकर गया और उसने बदले में अली को खूब खरी-खोटी भी सुनाई.
अली ने ख़लीफा के दरबार में न्याय की फ़रियाद की. ख़लीफा के पूछने पर व्यापारी ने तो साफ़ मना कर दिया कि उसने मर्तबान से अशर्फियाँ निकाली हैं. कोई सबूत नहीं होने पर मामले का हल नहीं निकला और सारे बग़दाद में इस मुक़दमे की चर्चा होने लगी.
ऐसे में एक दिन ख़लीफा वेश बदलकर रात में घूम रहे थे. उन्होंने कुछ बच्चों को इसी मुक़दमे का नाटक करते देखा. उनमें से एक ख़लीफा बना था, एक अली और एक व्यापारी बना था. बालक नकली ख़लीफा के हुक्म पर व्यापारी को बुलाया गया. बालक व्यापारी से पूछा गया कि मर्तबान के जैतून कितने पुराने हैं. बालक व्यापारी ने सूंघकर बताया कि “ज्यादा-से-ज्यादा एक साल पुराने हैं”. बालक ख़लीफा ने कहा – “अली तो सात साल पहले हज पर गया था. इसका मतलब ये है कि तुमने मर्तबान की अशर्फियाँ निकलकर उसमें ताजे जैतून भर दिए!”
यह सुनकर ख़लीफा हारून-अल-रशीद की आँखें खुल गईं. उन्होंने मर्तबान के जैतूनों की जांच कराई तो वे वाकई ताजे निकले. इस प्रकार अली ख्वाज़ा को न्याय मिल गया. नकली ख़लीफा बालक आगे जाकर बड़ा न्यायाधिकारी बना.
(A story/anecdote of Caliph Harun-Al-Rashid – Hindi)
रोचक कहानी। बहुत सुंदर।
पसंद करेंपसंद करें
अच्छी कहानी है .. कभी कभी बच्चे बडों को मात करनेवाले काम करते हैं .. प्रखर बुद्धि होती है उनकी !!
पसंद करेंपसंद करें
Just install Add-Hindi widget button on your blog. Then u can easily submit your pages to all top Hindi Social bookmarking and networking sites.
Hindi bookmarking and social networking sites gives more visitors and great traffic to your blog.
Click here for Install Add-Hindi widget
पसंद करेंपसंद करें
वाह !! सचमुच रोचक और प्रेरक कथा…
पसंद करेंपसंद करें
वाह और आह! काहे कि हमने भी यूं सोचा था। और हम हांक रहे हैं रेलगाड़ी! 🙂
पसंद करेंपसंद करें
nice
पसंद करेंपसंद करें
I like your storytelling may be we can collaborate on understanding new age spiritualism like
http://www.chanceandchoice.com
eitherways will be following your postings.
thks.
पसंद करेंपसंद करें
Very nice story…
पसंद करेंपसंद करें
एक अच्छी कहानी।
एक सुझाव है, यदि आप अपनी ब्लागर प्रोफाइल के वेब पेज का पता परिवर्तित कर इस डोमेन को डाल दें, तो अन्य ब्लॉगर्स के लिए सुविधाजनक रहेगा।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
पसंद करेंपसंद करें
निशांत भाई, काव्या और मेरे द्वारा एक ही कम्प्यूटर प्रयोग किये जाने के कारण उपरोक्त टिप्पणी उनके नाम से प्रकाशित हो गयी है। कृपया उसे डिलीट कर दें।
हाँ, पर सुझाव तो मेरा ही है।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
पसंद करेंपसंद करें
पूत के पांव…
पसंद करेंपसंद करें
Good Story!
पसंद करेंपसंद करें
good story
पसंद करेंपसंद करें
This Story is a Beautifull Story
पसंद करेंपसंद करें
very nice story for tip
पसंद करेंपसंद करें