इतना महंगा नाश्ता?

hot tea pot


यह मध्य-पूर्व की लोक कथा है.

एक बहुत बड़े मुल्क का सुलतान कहीं दूर की यात्रा पर एक गाँव से गुज़रा. रास्ते में वह एक बहुत मामूली चायघर में नाश्ता करने के लिए रुक गया. उसने खाने में आमलेट की फरमाइश की. चायघर के मालिक ने बहुत सलीके से उसे चायघर के मामूली बर्तनों में आमलेट परोसा. मालिक ने टूटे-फूटे टेबल कुर्सी और मैले बिछावन के लिए सुलतान से माफ़ी मांगी और कहा – “मुझे बेहद अफ़सोस है हुज़ूर-ए-आला कि यह मामूली चायघर आपकी इससे बेहतर खातिरदारी नहीं कर सकता”.

“कोई बात नहीं” – सुलतान ने उसे दिलासा दिया और पूछा – “आमलेट के कितने पैसे हुए?”

“आपके लिए सुलतान इसकी कीमत है सिर्फ सोने की हज़ार अशर्फियाँ” – चायघर के मालिक ने कहा.

“क्या!?” – सुलतान ने हैरत से कहा – “क्या यहाँ अंडे इतने मंहगे मिलते हैं? या फिर यहाँ अंडे मिलते ही नहीं हैं क्या?”

“नहीं हुज़ूर-ए-आला, अंडे तो यहाँ खूब मिलते हैं” – मालिक ने कहा – “लेकिन आप जैसे सुलतान कभी नहीं मिलते”.

(A folktale of Middle East – in Hindi)

There are 3 comments

टिप्पणी देने के लिए समुचित विकल्प चुनें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.