किसी गाँव में गोलिएथ नामक दैत्य बार-बार आकर वहां के निवासियों को खा जाता था.
एक दिन गाँव में डेविड नामक 15 वर्षीय गड़रिया अपने मित्र से मिलने के लिए आया. उसने अपने मित्र से पूछा – “तुम सभी मिलकर उस दैत्य का सामना क्यों नहीं करते?”
भयभीत मित्र ने डेविड से कहा – “लगता है कि तुमने अभी गोलिएथ को देखा नहीं है. वह इतना विशाल है कि हम उसे मार नहीं सकते!”
डेविड ने कहा – “अच्छा! यदि वह वाकई बहुत विशाल है तो इतना निश्चित है कि उसपर लगाया गया निशाना चूक नहीं सकता”.
और कहते हैं कि डेविड ने एक दिन गोलिएथ पर गुलेल से निशाना साधकर उसे गिरा दिया और पलक झपकते ही उसे अपनी तलवार से मार दिया.
इस कहानी में डेविड की शारीरिक शक्ति नहीं बल्कि उसके नज़रिए ने उसे गोलिएथ पर विजय दिलाई.
(A motivational / inspirational story of David and Goliath – in Hindi)
सही है..
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bilkul sahi,nazariya sahi ho koi kaam mushkil ya naamumkin nahi.sunder kahani.
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बहुत अच्छा लगा।
धन्यवाद
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aapke vichaar hi aapko vijay banate hain.
sunda kahani hain
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ysaya budhi balam tasayy.jese kherghosh or sher ki kahani.
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achi bal katha. bacho ke liya prarek kahani.
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Kahani prerak hai, buddhi se kiya hua kam kabhi asafal nahi hota
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सही बात है कभी ऐसी ही कहानी किताब मेँ पढी थी शीर्षक था तीन लुटेरे और रियो कालगिन
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Very fine
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