एक भिखारी को बाज़ार में चमड़े का एक बटुआ पड़ा मिला. उसने बटुए को खोलकर देखा. बटुए में सोने की सौ अशर्फियाँ थीं. तभी भिखारी ने एक सौदागर को चिल्लाते हुए सुना – “मेरा चमड़े का बटुआ खो गया है! जो कोई उसे खोजकर मुझे सौंप देगा, मैं उसे ईनाम दूंगा!”
भिखारी बहुत ईमानदार आदमी था. उसने बटुआ सौदागर को सौंपकर कहा – “ये रहा आपका बटुआ. क्या आप ईनाम देंगे?”
“ईनाम!” – सौदागर ने अपने सिक्के गिनते हुए हिकारत से कहा – “इस बटुए में तो दो सौ अशर्फियाँ थीं! तुमने आधी रकम चुरा ली और अब ईनाम मांगते हो! दफा हो जाओ वर्ना मैं सिपाहियों को बुला लूँगा!”
इतनी ईमानदारी दिखाने के बाद भी व्यर्थ का दोषारोपण भिखारी से सहन नहीं हुआ. वह बोला – “मैंने कुछ नहीं चुराया है! मैं अदालत जाने के लिए तैयार हूँ!”
अदालत में काजी ने इत्मीनान से दोनों की बात सुनी और कहा – “मुझे तुम दोनों पर यकीन है. मैं इंसाफ करूँगा. सौदागर, तुम कहते हो कि तुम्हारे बटुए में दो सौ अशर्फियाँ थीं. लेकिन भिखारी को मिले बटुए में सिर्फ सौ अशर्फियाँ ही हैं. इसका मतलब यह है कि यह बटुआ तुम्हारा नहीं है. चूंकि भिखारी को मिले बटुए का कोई दावेदार नहीं है इसलिए मैं आधी रकम शहर के खजाने में जमा करने और बाकी भिखारी को ईनाम में देने का हुक्म देता हूँ”.
बेईमान सौदागर हाथ मलता रह गया. अब वह चाहकर भी अपने बटुए को अपना नहीं कह सकता था क्योंकि ऐसा करने पर उसे कड़ी सजा हो जाती. इंसाफ-पसंद काजी की वज़ह से भिखारी को अपनी ईमानदारी का अच्छा ईनाम मिल गया.
(A Jewish folk tale in Hindi)
Nyaya pasand aaya
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सुंदर प्रस्तुति.
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imandari hamesha jeet jaati hai,achhi kahani.
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kaji was great.
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the story is very nice.itgives agood massege to society
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wah bhi
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bahot khoob.
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क्या बात कही है कास आज भी ऐसे इन्साफ पसंद इन्सान होते तो शयेद आज के हालात ऐसे नही होते शुक्रिया श्री मान जी …
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निशांत जी,
मैं कई दिनों से आपका ब्लॉग पढता आ रहा हूँ, आपकी हर पोस्ट नायाब हीरे के समान जीवन के अमुल्य रहस्यों से साक्षात्कार कराती है। आप वाकई इतनी उम्दा रचनाऐं हिंदी में उपलब्ध कराने के लिये साधुवाद के पात्र है।
आपकी यह पोस्ट मुंडकोपनिषद के आदर्श वाक्य ‘सत्यमेव जयते’ का आदर्श उदाहरण प्रस्तुत करती है।
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jhooth ke bal pe kabhi jeeta nhi jaa sakta………………
to sach to samne aana hi tha……
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jhuth se nafa kamane ki galatfahami me,
rijk ke ghatane ke aasar bne rahate hain….
nice lesson
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tum doosron ko kya karta hai ve vapas apki pas hi atha hai
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kahani bahut achhi lagi manoj kd
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Yeah khani ka moed acha nahi tha but ending badi jabardast thi.
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It is nice lok kahayai .
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Very good very nice story
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very nice story; I have posted it for my friends on Face Book.
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