अपनी बुद्धिमत्ता के कारण लाओ-त्ज़ु बहुत प्रसिद्द हो गया था और निस्संदेह वह सबसे बुद्धिमान व्यक्ति था. चीन के राजा ने लाओ-त्ज़ु से अपने न्यायालय का प्रधान न्यायाधीश बनने का अनुरोध किया और कहा – “सम्पूर्ण विश्व में आप जितना बुद्धिमान और न्यायप्रिय कोई नहीं है. आप न्यायाधीश बन जायेंगे तो मेरा राज्य आदर्श राज्य बन जायेगा”.
लाओ-त्ज़ु ने राजा को समझाने का बहुत प्रयास किया कि वे उस पद के लिए उपयुक्त नहीं हैं लेकिन राजा नहीं माना. लाओ-त्ज़ु ने कहा – “आप मेरी बात नहीं मान रहे हैं लेकिन मुझे न्यायालय में एक दिन कार्य करते देखकर आपको अपना विचार बदलना पड़ेगा. आप मान जायेंगे कि मैं इस पद के लिए उपयुक्त नहीं हूँ. वास्तव में सम्पूर्ण व्यवस्था में ही दोष है. आपके प्रति आदरभाव रखे हुए ही मैंने आपसे सत्य नहीं कहा है. अब या तो मैं न्यायाधीश बना रहूंगा या आपके राज्य की कानून-व्यवस्था बनी रहेगी. देखें, अब क्या होता है”.
पहले ही दिन न्यायालय में एक चोर को लाया गया जिसने राज्य के सबसे धनी व्यक्ति का लगभग आधा धन चुरा लिया था. लाओ-त्ज़ु ने मामले को अच्छे से सुना और अपना निर्णय सुनाया – “चोर और धनी व्यक्ति, दोनों को छः महीने का कारावास दिया जाए”.
धनी ने कहा – “आप यह क्या कर रहे हैं? चोरी मेरे घर में हुई है! मेरा धन चुरा लिया गया है! फिर भी आप मुझे जेल भेजने का निर्णय कर रहे हैं!? यह कैसा न्याय है?”
लाओ-त्ज़ु ने कहा – “मुझे तो लगता है कि मैंने चोर के प्रति न्याय नहीं किया है. तुम्हें वास्तव में अधिक लम्बा कारावास देने की आवश्यकता है क्योंकि तुमने आवश्यकता से अधिक धन जमा करके बहुत से लोगों को धन से वंचित कर दिया है! सैकड़ों-हजारों लोग भूखे मर रहे हैं लेकिन तुम्हारी धनसंग्रह करने की लालसा कम नहीं होती! तुम्हारे लालच के कारण ही ऐसे चोर पैदा हो रहे हैं. अपने घर में होनेवाली चोरी के लिए तुम ही जिम्मेदार हो. तुम अधिक बड़े अपराधी हो”.
कहना न होगा कि राजा ने लाओ-त्ज़ु को अपने पद से उसी दिन मुक्त कर दिया.
(Lao-tzu is made a judge – a motivational / inspirational anecdote in Hindi)
bhai kahaani to bahut achhi hain!!
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bhai kahaani to bahut achhi hain!!
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शायद मैं भी लाओत्से से सहमत नहीं। या सोचने में समय लगे।
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शायद मैं भी लाओत्से से सहमत नहीं। या सोचने में समय लगे।
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कहानी बढि़या लगी. लाओ-त्ज़ु जैसे लोग आज भी तुरंत पद मुक्त कर दिये जाते हैं.
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Nyay ko samjhana hoga , nyay doshi ko dandit karna hi nahin hota wo to nirnay hua. Darasal sachcha nyay to un paristhitiyuon kee samapti hoti hai jinhone us doshi ko janm diya hai.
Aapka
http://www.yoursaarathi.blogspot.com/
Neelesh Jian, Mumbai
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Nyay ko samjhana hoga , nyay doshi ko dandit karna hi nahin hota wo to nirnay hua. Darasal sachcha nyay to un paristhitiyuon kee samapti hoti hai jinhone us doshi ko janm diya hai.
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प्रेरक।
-Zakir Ali ‘Rajnish’
{ Secretary-TSALIIM & SBAI }
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aaj ke din lao-tju ko kaun samjhane ke liye baitha hai… kaam ki baat karo… adhikansh ke palle nahi padega is tarah ka prerak prasang… aur pada to use koi upane jiwan mein upyog mein nahin layega…
be practical!
all the best for ur endevour my dear!
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बब्बन जी, आपने इस पोस्ट की उपयोगिता और गुणवत्ता को समझा, यही बहुत है. वैसे, अब ‘काम की बात’ क्या है, यह भी बताते चलिए 🙂
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ye web bahut he achai hai
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कहानी सत्य है।फीर भी सदियों से लोग समझ ते क्यों नही।
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