प्रार्थना और शब्दों की शक्ति

prayers


एक फ़कीर किसी गाँव से गुज़र रहा था. रास्ते में उसे एक औरत मिली जिसने उसे बताया कि उसका बेटा बहुत बीमार है. फ़कीर ने औरत से उसे अपने घर ले चलने के लिए कहा.

जब फ़कीर उसके घर पहुंचा तो आसपास के कई घरों के लोग भी वहां पर आ गए. उन लोगों ने पहले कभी किसी फ़कीर को नहीं देखा था. उत्सुकतावश वे वहां भीड़ लगाकर खड़े हो गए. औरत अपने बीमार बच्चे को फ़कीर के पास लेकर आई. फ़कीर ने बड़े प्यार से बच्चे को गोद में लेकर उसके स्वास्थ्य के लिए ईश्वर से प्रार्थना की.

भीड़ में से एक आदमी चिल्लाकर फ़कीर से बोला – “क्या आपको वाकई लगता है कि आपकी प्रार्थना से ये बच्चा अच्छा हो जायेगा जबकि सारी दवाईयां बेकार साबित हो चुकी हैं?”

फ़कीर ने उससे कहा – “तुम मूर्ख हो! तुम इन सब बातों के बारे में कुछ नहीं जानते!”

यह सुनते ही उस आदमी का चेहरा गुस्से से तमतमा गया. वह कुछ कहने वाला ही था कि फ़कीर उसके पास आये और उसके कंधे पर हाथ रखकर बोले – “यदि एक शब्द में तुम्हें इतना क्रुद्ध और तप्त करने की शक्ति है तो दूसरे शब्द क्या तुम्हें शांत और स्वस्थ नहीं कर सकते?

और इस प्रकार फ़कीर ने उस दिन दो लोगों को स्वस्थ कर दिया.

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भाषा में यथार्थ को बदलने की शक्ति होती है. इसलिए, अपने शब्दों का प्रयोग उन्हें समर्थ यंत्र मानकर करो. उनसे लोगों को स्वस्थ करो, प्रसन्न करो, माफ़ करो, आर्शीवाद दो, सबकी मंगल कामना करो.

(A motivational / inspiring story on the miracles of words and prayer – in Hindi)

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