हम सबने उस अहमक और लालची राजा की कहानी सुनी है जिसका नाम मिडास था. उसने पास बहुत सारा सोना था और जितना सोना वह जमा करता जाता था उतना ही ज्यादा सोना पाने की उसकी प्यास बढती जाती थी. अपने महल के स्वर्णकोष में बैठकर वह अपना पूरा समय सोना गिनने में लगाता था.
एक दिन जब वह सोना गिनने में व्यस्त था तब उसके पास एक फ़कीर आया और उसने कहा कि वह मिदास की कोई एक मनोकामना पूरी कर सकता है. मिडास यह सुनकर बहुत खुश हो गया और बोला – “मैं जिस चीज़ को छू लूँ वह सोने की हो जाये!”
फ़कीर ने कहा – “क्या तुम वाकई ऐसा ही चाहते हो?” – मिडास ने कहा – “हाँ”.
फ़कीर ने कहा – “ऐसा ही हो. कल सुबह सूरज की पहली किरण के साथ तुम जो कुछ भी छुओगे वह सोने में बदल जायेगा”.
मिडास को लगा कि कहीं यह सपना तो नहीं! ऐसा कैसे हो सकता है? लेकिन अगले दिन जब वह सो कर उठा, उसने अपने पलंग को छुआ, और पलंग सोने का हो गया. उसके कपडे, उसके बर्तन, उसकी तलवार, अब कुछ सोने का हो गया.
मिडास ने महल की खिड़की से बाहर झाँककर देखा. उसकी प्यारी बिटिया बाहर बगीचे में खेल रही थी. मिडास ने सोचा की वह बाहर जाकर उसे अपनी करामाती शक्ति दिखाकर उसे खुश कर देगा. वह हर किसी चीज़ को छूकर बाहर जाने लगा. उसने एक किताब को छुआ, वह पलक झपकते ही सोने की किताब बन गई, लेकिन अब उसे पढ़ पाना संभव नहीं था. वह नाश्ता करने बैठा लेकिन जैसे ही उसने फलों को हाथ लगाया, वे भी सोने के फल बन गए. पीने का पानी भी सोने में बदल गया. मिडास को बहुत तेज भूख लग रही थी और सोना खाकर तो कोई पेट नहीं भर सकता था!
मिडास को समझ में नहीं आ रहा था कि वह क्या करे! इतने में ही उसकी बिटिया भागती हुई उसके पास आई और इससे पहले की मिडास ज़रा संभल पाता, उसने मिडास को गले से लगा लिया. मिडास को छूते ही वह भी सोने के बुत में तब्दील हो गई.
मिडास दहाडें मारकर रोने लगा. उसे अपनी बेवकूफी पर पछतावा हुआ. उसे यह लगने लगा था कि सोना संसार की सबसे अच्छी चीज नहीं है.
अचानक ही कहीं से वह फ़कीर आ गया. फ़कीर ने पूछा – “मिडास, क्या तुम इतना सारा सोना पाकर खुश हो?”
मिडास ने कहा – “नहीं! मैं संसार का सबसे दुखी मनुष्य हूँ!”
फ़कीर ने पूछा – “क्यों? तुम्हारे पास तो अब सब कुछ सोने का हो गया है!”
मिडास बोला – “मुझे माफ़ कर दो! मेरा सब कुछ ले लो लेकिन मेरी बिटिया को पहले जैसा बना दो. मैं उसे ही सबसे ज्यादा प्यार करता हूँ, सोने को नहीं!”
फ़कीर ने कहा – “ठीक है मिडास. तुम समझ गए हो कि सोना संसार की सबसे कीमती वस्तु नहीं है.” – यह कहकर फ़कीर ने अपने मंतर को उल्टा कर दिया. मिडास की बाँहों में उसकी प्यारी बिटिया पहले की तरह अठखेलियाँ करने लगी और उसने कभी न भूलनेवाला सबक सीख लिया.
इस कहानी से हमें क्या शिक्षा मिलती है?
* विकृत जीवन-मूल्य त्रासदी की ओर ले जाते हैं.
* कभी-कभी आपकी ख्वाहिशें ही आगे जाकर आपके दुःख का कारण बन जाती हैं और आप उस क्षण को कोसते हैं जब आपने उस चीज़ की तमन्ना की थी.
* सिर्फ फुटबाल के खेल में ही खिलाडियों को बाहर निकाला या बदला जा सकता है. ज़िन्दगी ऐसा करने की इजाज़त नहीं देती. मिडास की तरह हमें अपने दुःख से निजात पाने का मौका मिले-न-मिले!
कहानी तो पहले पढ़ी हुई थी लेकिन संदेश के साथ यह प्रभावी हो गई। दूरदर्शन पर तो इस कहानी पर एक बार नाटक भी अ चुका है। विकृत मूल्य वाली बात सोचने पर मजबूर करती है। आभार।
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लालच सबसे बड़ी बला ।
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मिदास की कहानी बहुउल्लिखित और परिचित है, पर सदैव बहुमूल्य । संदेश अत्युत्तम है । आभार इस प्रस्तुति के लिये ।
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अच्छी सीख !
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वीडियो देख कर मेरे भतीजे ने वाह कहा । फिर से आभार ’मधुहास’ की ओर से भी ।
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Very nice
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story is very good
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Very nice story
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Kahani bahut Acha Hai.
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