देवता जूपिटर ने एक दिन समस्त जानवरों को अपनी सभा में बुलाया और कहा – “तुम सब कल अपने-अपने सबसे सुंदर बच्चों के साथ सभा में आओ. जिसका बच्चा मुझे सबसे सुंदर लगेगा, उसे मैं बड़ा पुरस्कार दूंगा.
दूसरे दिन सभी जानवर अपने नन्हे-मुन्ने बच्चों के साथ सभा में आये. एक बंदरिया भी अपने नन्हे से बच्चे को अपनी छाती से चिपका कर लाई. उसका बच्चा इतना छोटा था कि उसके बाल भी नहीं निकले थे और वह बिलकुल छिले हुए उबले आलू जैसा दिख रहा था. इतने सारे लोगों के बीच पहली बार आकर बच्चा बहुत सकपका गया था और अपनी माँ को कसकर जकड़े हुए था.
वहां उपस्थित अन्य जानवरों और देवताओं ने जब बंदरिया के बच्चे को देखा तो वे सभी हंसकर लोटपोट हो गए. लेकिन बंदरिया ने अपने बच्चे को बड़े प्यार से दुलारा और जूपिटर से कहा – “आप जिसे चाहें उसे सबसे सुंदर बच्चे का पुरस्कार दे दें लेकिन मेरे लिए तो मेरा बच्चा ही सबसे सुंदर है!”
राजा भोज के साथ भी ऐसी ही एक कहानी जुड़ी हुई है।
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बिलकुल सही कहा सच मे एक मा के लिये उसका बच्चा ही दुनिया मे सब से सुन्दर होता है अगर ये वरदान मा को ना मिला होता तो आज कई बच्चे मा के प्यार को तरसते भगवान की सर्वोत्तम रचना है मा आभार्
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mujhe hamesha lagata hai ki meri hi nazar mere bete ko lagati hia kyonki sabse budhiman aur sabse sunder mera hi beta hai.
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