आदमी और दैत्य

the devil


एक बार एक आदमी घने जंगल में रास्ता भटक गया. यहाँ-वहां रास्ता ढूंढ़ते-ढूंढ़ते उसे बहुत रात हो गई. सर्दी का महीना था और वह भूखा-प्यासा ठण्ड के मारे ठिठुरता हुआ अँधेरे में ठोकरें खाता रहा.

कहीं दूर उसे रौशनी दिखाई दी और वह उस और यह सोचकर चल दिया कि शायद वह किसी लकड़हारे की झोपड़ी होगी.

रौशनी एक गुफा के भीतर से आ रही थी. वह आदमी गुफा के भीतर घुस गया और उसने यह देखा कि वह एक दैत्य की गुफा थी.

“मैं इस जंगल में रास्ता भटक गया हूँ और बहुत थका हुआ हूँ” – आदमी ने दैत्य से कहा – “क्या मैं आपकी गुफा में रात भर के लिए ठहर सकता हूँ?”

“आओ और यहाँ आग के पास बैठ जाओ” – दैत्य ने कहा.

आदमी आग के पास जाकर बैठ गया. उसकी उँगलियाँ ठण्ड से ठिठुर रही थीं. वह अपनी उँगलियों पर अपने मुंह से गर्म हवा फूंककर उन्हें गर्माने लगा.

“तुम अपनी उँगलियों पर क्यों फूंक रहे हो?” – दैत्य ने पूछा.

“क्योंकि मेरी उँगलियाँ बहुत ठंडी हैं इसलिए मैं फूंक मारकर उन्हें गर्म कर रहा हूँ” – आदमी ने जवाब दिया.

“क्या इससे वे गर्म हो जायेंगीं? – दैत्य ने पूछा.

“हाँ. हम मनुष्य लोग ऐसा ही करते हैं” – आदमी ने जवाब दिया.

दैत्य ने कुछ नहीं कहा. कुछ देर बाद वह गुफा के भीतर गया और आदमी के लिए कटोरे में खाने की कोई चीज़ ले आया. खाना इतना गर्म था कि आदमी उसे खा नहीं सकता था. वह कटोरे में फूंक मारकर उसे ठंडा करने लगा.

“क्या खाना ठंडा है?” – दैत्य ने पूछा.

“नहीं. खाना तो बहुत गरम है” – आदमी ने जवाब दिया.

“तो तुम इसमें फूंक क्यों रहे हो?” – दैत्य ने पूछा.

“इसे ठंडा करने के लिए” – आदमी ने जवाब दिया.

“फ़ौरन मेरी गुफा से निकल जाओ!” – दैत्य आदमी पर चिल्लाया – “मुझे तुमसे डर लग रहा है. तुम एक ही फूंक से गर्म और ठंडा कर सकते हो!”

There are 10 comments

टिप्पणी देने के लिए समुचित विकल्प चुनें

Fill in your details below or click an icon to log in:

WordPress.com Logo

You are commenting using your WordPress.com account. Log Out /  बदले )

Facebook photo

You are commenting using your Facebook account. Log Out /  बदले )

Connecting to %s

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.