किसी आदमी के पास एक बहुत शानदार तोता था. आदमी ने तोते को केवल एक शब्द ‘बेशक’ बोलना सिखा दिया.
एक रात उस आदमी ने गाँव में अलग-अलग स्थानों में कुछ धन गाड़ दिया. अगली सुबह वह अपने तोते को लेकर गाँव में घूमने निकला और लोगों से बोला – “मेरा तोता बहुत बुद्धिमान है. वह मुझे बताता है कि जमीन में कहाँ-कहाँ धन गडा हुआ है”.
इसके बाद वह उन्हीं स्थानों पर गया जहाँ उसने पिछली रात धन गाड़ दिया था और तोते से बोला – “मेरे ज्ञानी तोते, यदि मैं यहाँ पर खोदूं तो क्या मुझे कुछ धन मिलेगा?”
तोता बहुत ज्ञान प्रदर्शित करते हुए बोला – “बेशक!”
उस आदमी ने उपस्थित लोगों के सामने गड्ढा खोदा और लोगों को धन निकालकर दिखाया.
भीड़ में एक युवक था जो तोते के इस कारनामे को देखकर प्रभावित हो गया और सोचने लगा – “यदि मुझे यह तोता मिल जाए तो मैं बहुत जल्द ही संपन्न हो जाऊँगा”.
युवक ने तोते के मालिक से पूछा – “तुम यह तोता कितने में बेचोगे?”
“एक हज़ार सोने के सिक्कों के बदले मैं यह तोता बेचूंगा” – तोते के मालिक ने कहा.
“यह तो बहुत बड़ी रकम है!” – युवक बोला.
“लेकिन मेरा तोता तुम्हें उससे भी कई गुना धन कमाकर देगा” – आदमी ने कहा.
तोता यह सुनकर बोला – “बेशक!”
युवक को तोते का यह बोलना भा गया और उसने तोते के मालिक को एक हज़ार सोने के सिक्के दे दिए और तोते को लेकर चल दिया.
एक स्थान पर रूककर उसने तोते से कई बार पूछा – “तोते, यदि मैं यहाँ पर खोदूं तो क्या मुझे कुछ धन मिलेगा?”
हर बार तोते ने एक ही उत्तर दिया – “बेशक!”
युवक ने कई स्थानों पर खोदकर देखा पर उसे कहीं भी एक धेला भी नहीं मिला.
युवक समझ गया कि तोते के मालिक ने उसे ठग लिया है. उसने तोते से पूछा – “ओ ज्ञानी तोते, मुझे लगता है कि मैंने एक हज़ार सोने के सिक्कों के बदले में तुम्हें खरीदकर बहुत बड़ी मूर्खता कर दी है”.
तोते ने ज्ञानियों की भांति उत्तर दिया – “बेशक!”
यह सुनकर युवक को बहुत जोरों से हंसी आ गई और वह खुद को ठगाया जाना भूल गया.
“ह्म्म्म…” – युवक तोते से बोला – “तोते, तुमने पहली बार सच कहा. अब मैं इन सब चक्करों में पड़कर अपना समय और धन नष्ट नहीं करूँगा. परिश्रम और लगन के बूते ही कोई व्यक्ति धनी बन सकता है”.
“बेशक!” – तोते ने हामी भरी. उसने दूसरी बार सच बोला था.
Achhi lagi
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udhyoghina pursha lakshmi upati. prishrem se lakshmi ki prapti hoti hai.
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