दो बाल्टियों की कहानी

किसी गाँव में एक किसान को बहुत दूर से पीने के लिए पानी भरकर लाना पड़ता था. उसके पास दो बाल्टियाँ थीं जिन्हें वह एक डंडे के दोनों सिरों पर बांधकर उनमें तालाब से पानी भरकर लाता था.

leakingbucket2उन दोनों बाल्टियों में से एक के तले में एक छोटा सा छेद था जबकि दूसरी बाल्टी बहुत अच्छी हालत में थी. तालाब से घर तक के रास्ते में छेद वाली बाल्टी से पानी रिसता रहता था और घर पहुँचते-पहुँचते उसमें आधा पानी ही बचता था. बहुत लम्बे अरसे तक ऐसा रोज़ होता रहा और किसान सिर्फ डेढ़ बाल्टी पानी लेकर ही घर आता रहा.

अच्छी बाल्टी को रोज़-रोज़ यह देखकर अपने पर घमंड हो गया. वह छेदवाली बाल्टी से कहती थी की वह आदर्श बाल्टी है और उसमें से ज़रा सा भी पानी नहीं रिसता. छेदवाली बाल्टी को यह सुनकर बहुत दुःख होता था और उसे अपनी कमी पर लज्जा आती थी.

छेदवाली बाल्टी अपने जीवन से पूरी तरह निराश हो चुकी थी. एक दिन रास्ते में उसने किसान से कहा – “मैं अच्छी बाल्टी नहीं हूँ. मेरे तले में छोटे से छेद के कारण पानी रिसता रहता है और तुम्हारे घर तक पहुँचते-पहुँचते मैं आधी खाली हो जाती हूँ.”

किसान ने छेदवाली बाल्टी से कहा – “क्या तुम देखती हो कि पगडण्डी के जिस और तुम चलती हो उस और हरियाली है और फूल खिलते हैं लेकिन दूसरी ओर नहीं. ऐसा इसलिए है कि मुझे हमेशा से ही इसका पता था और मैं तुम्हारे तरफ की पगडण्डी में फूलों और पौधों के बीज छिड़कता रहता था जिन्हें तुमसे रिसने वाले पानी से सिंचाई लायक नमी मिल जाती थी. दो सालों से मैं इसी वजह से अपने देवता को फूल चढ़ा पा रहा हूँ. यदि तुममें वह बात नहीं होती जिसे तुम अपना दोष समझती हो तो हमारे आसपास इतनी सुन्दरता नहीं होती.”

मुझमें और आपमें भी कई दोष हो सकते हैं. दोषों से कौन अछूता रह पाया है. कभी-कभी ऐसे दोषों और कमियों से भी हमारे जीवन को सुन्दरता और पारितोषक देनेवाले अवसर मिलते हैं. इसीलिए दूसरों में दोष ढूँढने के बजाय उनमें अच्छाई की तलाश करें.

There are 27 comments

  1. venus kesari

    वाह क्या कहानी पढ़वाई है आपने
    मैं अक्सर कहता हूँ की अगर इंसान में हर कमी को दूर कर दिया जाये तो वो इंसान कहाँ रह जायेगा वो तो देवता बन जायेगा इसलिए शायद सर्वगुण सम्पन्न आदमी को घमंड हो जाता है जो एक कमी है 🙂

    वीनस केसरी

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  2. गिरिजेश राव

    बढ़िया बोध कथा.
    एक उदाहरण : मेरे अंतर्मुखी स्वभाव को भाँप कर मेरे मकान मालिक ने अपना बिजली का एक प्वाइंट मेरे कनेक्शन में जोड़ रखा है. महीने में दो ढाई सौ का चूना तो लगा ही देते हैं. उसका +ve पक्ष यह है कि उनके बच्चे एकाध बार पिज्जा वगैरह मँगा लेते हैं. उसकी भरपाई इससे हो जाती है. है न एक दोष दूसरों की भलाई करने वाला! ):

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  3. rafatalam

    बहुत खूबसूरत प्रेरक प्रसंग है .मुझे तो तो आप छेद वाली बाल्टी लग रहे हो साहिब .क्या सुंदर प्ररेक फूलों का गुलदस्ता सजाया है .साधुवाद.किसीने कहा है मेरे दोष छिपाने वाले दोस्तों से तो दुश्मन अच्छे जों मेरे दोष प्रकट कर,सुधरने का मोका देते हैं.सब को याद है फिर भी कबीर दास जी का प्रासंगिक दोहा लिखने को जी चाह रहा है
    बुरा जों देखन जों मैं चला बुरा ना मिल्या कोय
    को मन खोजा आपना मुझ से बुरा ना कोय

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