एडिसन का दृष्टिकोण

thomas edisonअमेरिका के प्रान्त न्यू जर्सी के कस्बे वेस्ट औरेंज की एक सर्द रात थॉमस एडिसन की फैक्ट्री में रोज़ की तरह कामकाज का शोर हो रहा था. ऐसी अनेक योजनाओं पर काम चल रहा था जो एडिसन ने अपने सपनों को हकीकत में बदलने के लिए प्रारंभ की थीं. ऐसा कहा जाता था कि लोहे और कंक्रीट से बनी एडिसन की फैक्ट्री फायरप्रूफ थी, लेकिन आग की ताकत का अनुमान लगाना मुश्किल है.

1914 की उस जमा देने वाली सर्द रात कस्बे का आसमान फैक्ट्री से उठती आग की लपटों से दीप्तिमान हो उठा. एडिसन के 24 वर्षीय पुत्र चार्ल्स ने अपने पिता को बड़ी मुश्किल से ढूँढा. वे जब मिले, एडिसन आग में जलती हुई फैक्ट्री का नज़ारा देख रहे थे. उनके सफ़ेद हो चुके बाल सर्द हवा में हिल रहे थे और आग की भभक उनके अविचल चेहरे को चमका रही थी.

“मेरे ह्रदय में उनके लिए अतीव दर्द उमड़ आया” – बाद में चार्ल्स ने सबको बताया – “चट्टान की तरह मज़बूत वह 67 वर्षीय वृद्ध बड़ी महनत से बनी अपनी फैक्ट्री को ख़ाक होते देख रहा था. उन्होंने जब मुझे देखा तो वो चिल्लाकर मुझसे बोले – ‘चार्ल्स! तुम्हारी माँ कहाँ है?’ “जब मैंने उन्हें बताया – “मैं नहीं जानता”, वे बोले ‘उसे ढूंढो और यहाँ ले आओ! ऐसा दृश्य शायद उसे फिर कभी देखने को नहीं मिलेगा’.

अगले दिन एडिसन ने अपनी फैक्ट्री के अवशेषों को देखा और आग से हुए नुक्सान के बारे में यह कहा – “त्रासदी में भी कोई भलाई निहित होती है. हमारी सारी गलतियाँ आग की भेंट चढ़ गई हैं. भगवान् का शुक्र है, अब हम नए सिरे से सब कुछ शुरू कर सकते हैं”.

उस त्रासदी को देखने का एडिसन का नजरिया अद्भुत है. व्यापार में घाटा, तलाक, सपनों का चूर-चूर हो जाना… ये सारी घटनाएँ किसी आदमी को कितना तोड़ सकती हैं यह जीवन के प्रति उसके दृष्टिकोण पर निर्भर करता है. जो भी बुरा हुआ उसके कारणों की खोज करो और उनसे सबक लेते हुए नए सिरे से शुरुआत करो. फिर से शुरू करो.

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