दुनिया में सफलता प्राप्ति के हजारों ऐसे किस्से हैं जो सिर्फ प्रियजन या मित्र से केवल प्रोत्साहन के दो शब्द पाकर ही लोगों की नज़रों में आ सके. यदि प्रोत्साहन के वे शब्द नहीं कहे गए होते तो सफलता संदिग्ध होती.
अंग्रेजी के महान लेखक नाथानिएल हौथोर्न की सफलता के पीछे उनकी पत्नी सोफिया की बहुत बड़ी भूमिका है. एक दिन भग्नहृदय नाथानिएल घर आए और उन्होंने सोफिया को बताया कि उन्हें कस्टमहाउस की नौकरी से निकाल दिया गया है. वे बोले – “मैं बहुत बदनसीब हूँ. मैं ज़िन्दगी में कभी कुछ हासिल नहीं कर सकता.”
सोफिया ने कहा – “इतने उदास मत हो. तुम इतने प्रतिभाशाली हो, तुम कोई किताब लिख सकते हो क्या? तुम्हें लिखना चाहिए.”
“लेकिन मैं किताब लिखने बैठ जाऊँगा तो हमारा घर कैसे चलेगा?”
सोफिया ने आलमारी के भीतर से पैसों से भर बटुआ निकाला. नाथानिएल सकते में थे.
“इतना धन तुम्हारे पास कहाँ से आया?”
“मैं हमेशा से यह जानती हूँ कि तुम जीनियस हो. मुझे पता था कि एक-न-एक दिन तुम किताब ज़रूर लिखोगे. हर हफ्ते तुम घरखर्च के लिए मुझे जो पैसे देते थे उसीमें से थोड़ा-थोड़ा बचाकर मैंने इतनी रकम बना ली है. इतने से हम एक साल तक घर चला लेंगे.”
अपने ऊपर पत्नी का इतना गहरा विश्वास और समर्पण देखकर नाथानिएल लेखन कार्य में जुट गए. साल ख़त्म होने से पहले उन्होंने विक्टोरियन युग का महान उपन्यास ‘The Scarlet Letter’ लिख दिया.
बहुत ही मार्मिक
और सुंदर।
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bahut achchaa laga
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