सर रिचर्ड फेनमेन को अलबर्ट आइन्स्टीन के बाद बीसवीं शताब्दी का सबसे महान वैज्ञानिक माना जाता है. वे असाधारण बुद्धि एवं प्रतिभा के धनी और घोर तार्किक थे. केवल 24 वर्ष की अवस्था में उन्होंने प्रिंसटन विश्विद्यालय से पीएचडी की उपाधि प्राप्त की और 47 वर्ष की अवस्था में उन्हें सैद्धांतिक भौतिकशास्त्र में अभूतपूर्व योगदान के लिए नोबल पुरस्कार दिया गया.
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रिचर्ड फेनमेन बहुत अच्छा ड्रम भी बजाते थे. 1966 में स्वीडन के एक विश्वकोश प्रकाशक ने उनसे अनुरोध किया कि वे ड्रम बजाते हुए अपनी एक फोटो विश्वकोश में छपने के लिए भेजें ताकि ‘सैद्धांतिक भौतिकशास्त्र जैसे कठिन विषय पर सिद्धहस्तता रखनेवाले वैज्ञानिक का मानवीय पक्ष भी उभरकर आ सके.’
फेनमेन ने प्रकाशक को पत्र में यह लिखकर भेजा:-
“आदरणीय महोदय, मैं बहुत अच्छा ड्रम बजा सकता हूँ इस तथ्य का इससे कोई लेनादेना नहीं है कि मैं महान सैद्धांतिक भौतिकशास्त्री हूँ. सैद्धांतिक भौतिकशास्त्र मानवीय बोध की पराकाष्ठा है और विज्ञान की चरम उपलब्धि है. आपका ऐसा सोचना और साबित करने का प्रयास करना कि जो लोग सैद्धांतिक भौतिकशास्त्र की समस्याएँ हल करते हैं वे सामान्य मनुष्यों द्वारा ड्रम बजाने जैसा दूसरा काम भी कर सकते हैं, यह मेरा अपमान है. मैं इतना मानवीय हूँ कि आपसे यह कह सकूँ ‘भाड़ में जाइये’.
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रिचर्ड फेनमेन को एक बार किसी पत्रिका ने ‘विश्व का सर्वाधिक बुद्धिमान व्यक्ति’ चुना. उनकी माँ ने इसपर कहा – “यदि वह विश्व का सर्वाधिक बुद्धिमान व्यक्ति है तो ईश्वर हमारी रक्षा करे. (फेनमेन घोर नास्तिक थे).
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एक बार फेनमेन और उनके वैज्ञानिक मित्र अल सेकेल पारलौकिकता पर चर्चा कर रहे थे. तभी फेनमेन की पत्नी आर्लीन का प्रसंग निकल पड़ा. आर्लीन को तपेदिक थी और वे अस्पताल में थीं जब फेनमेन लॉस अलामोस कि प्रयोगशाला में थे. उनके पलंग के पास एक पुरानी घड़ी रखी थी. आर्लीन ने फेनमेन से कहा कि वह घड़ी उन दोनों के साथ-साथ बिताये गए समय का प्रतीक है और फेनमेन इस बात को कभी न भूलें.
जिस दिन अस्पताल में आर्लीन की मृत्यु हो गई, नर्स ने फेनमेन को आर्लीन की मृत्यु का सही समय बताया. फेनमेन ने देखा कि वह घड़ी ठीक उसी समय चलना बंद हो गई थी. ऐसा लग रहा था जैसे उनके एक दूसरे के साथ बिताये गए समय की प्रतीक वह घड़ी ठीक उसी समय ठहर गई जब आर्लीन उनको हमेशा के लिए छोड़कर चली गईं.
अल सेकेल ने फेनमेन से पूछा – “क्या इसमें तुम्हें कुछ पारलौकिक नहीं लगता?”
फेनमेन बोले – “बिलकुल नहीं. जैसे ही मैंने वह घड़ी देखी मैंने यह सोचना शुरू कर दिया कि ऐसा क्यों हुआ होगा. और मैं यह समझ गया कि चूँकि वह घड़ी पुरानी थी और हमेशा ख़राब होती रहती थी, वह आर्लीन की मृत्यु से कुछ समय पहले ही रुक गई थी. बाद में नर्स कमरे में आई और उसने आर्लीन को मृत पाया. उसने फ़ौरन घड़ी देखी और उसमें दिख रहा समय नोट कर लिया. इसमें कोई पारलौकिक सम्बन्ध नहीं है. मैं इसे फ़ौरन ही समझ गया.” (फेनमेन को पारलौकिकता के विषय पर राजी कर पाना असंभव था).
रिचर्ड फाइनमेन मेरे भी हीरो रहें हैं। मिशेल, उनकी गोद ली पुत्री ने उनके पत्र संकलित कर ‘Don’t you have time to think‘ नामक पुस्तक संपादित की है। यह पढ़ने योग्य है।
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बहुत बढ़िया
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