तनाव मुक्ति पाने के 20 उपाय

आपने ऐसे लेख आदि पढ़े होंगे जिनमें दिनभर दबाव और तनाव में काम करने के बाद थकान कम करने के उपाय बताए गए होंगे. इन उपायों का लाभ निश्चित रूप से होता है लेकिन मेरे विचार से ऐसे लेख केवल उपाय बताते हैं और समस्या के मूल तक नहीं जाते. इस प्रकार उन उपायों से मिलने वाले लाभ सीमित हो जाते हैं.

अपने दैनिक जीवन का निरीक्षण करके और कुछ आदतों को बदलकर आप सभी नहीं तो कुछ तनाव उत्पन्न करने वाले कारणों को कम कर सकते हैं.

आधुनिक जीवन में तनाव न हो यह संभव नहीं है. जीवन मिला है तो रोजमर्रा की परेशानियां भी मिली हैं. गरीब, मध्यवर्गीय, धनी, धनकुबेर – सभी किसी-न-किसी कारण से चिंतित रहते हैं और तनाव उनके शरीर को खोखला करता रहता है. समस्याओं की प्रतिक्रिया करने से तनाव उपजता है. तनाव जीवन का अभिन्न अंग बन चुका है. हांलाकि मेरा यह मानना है कि हमारा ज्यादातर तनाव अवांछित होता है और इसे कुछ सरल और कुछ कम सरल उपाय अपनाकर कम किया जा सकता है. यह चुटकियों में संभव नहीं है – मुझे इसमें सालों लगे हैं और अभी भी मैं तनाव पैदा करने वाले सभी कारणों को दूर नहीं कर पाया हूं. यह लक्ष्य कठिन है लेकिन हासिल करने योग्य है.

एक उदाहरण देखें – यह थोड़ा बढ़ा-चढ़ा कर बताया जा रहा है लेकिन इससे हमारी तनावपूर्ण ज़िंदगी परिलक्षित होती है. आप सवेरे देर से उठते हैं, काम पर समय पर पहुंचने की जद्दोजहद करते हैं, हड़बड़ी में नाश्ता करते हैं, आपकी शर्ट पर चाय छलक जाती है, दाढ़ी बनाते समय छिल जाता है, बाहर निकलने पर याद आता है कि आप अपना मोबाइल या पर्स भूल आये हैं, और भी बहुत कुछ.

अब आप भीड़ भरे ट्रेफिक में फंसे हुए हैं और आपका पारा धीरे-धीरे चढ़ता जा रहा है. कोई आपसे आगे गाड़ी निकालने की कोशिश करता है और आप उबल पड़ते हैं, आप हार्न बजाते हैं, कोसते हैं, झुंझलाते हैं. इस तरह आप बड़े बुरे मूड में काम पर पहुँचते हैं. आप ज़रूरी कागज़ तलाशते हैं और वह आपको नहीं मिलता, आपकी डेस्क पर सारी चीज़ें अस्तव्यस्त पड़ी हैं, आपका इनबॉक्स भी बहुत बुरी हालत में है, और आपको 25 ईमेल का उत्तर देना है. आप पहले ही कई असाइन्मेंट और प्रोजेक्ट्स में देरी कर चुके हैं और बॉस आपसे खुश नहीं है. 11 बजने से पहले आपको बहुत ज़रूरी 3 काम पूरे करने थे और 12 बज चुके हैं. काम करते-करते कब 2 बज गए पता ही नहीं चला. आपने अपना लंच मिस कर दिया.

ये तो सिर्फ एक बानगी है. आप समझ गए होंगे की मैं क्या कहना चाहता हूँ. आपका दिन ठीक से नहीं गुज़रता. वापसी में भी आप वही ट्रेफिक झेलते हैं. घर पहुँचते-पहुँचते तक आप बेहद बेदम, हलाकान, लेट, और तनावग्रस्त हो जाते हैं. इसके बाद भी आपका ध्यान अगले दिन की ज़रूरी बातों पर लगा रहता है. आप टेबल और इनबॉक्स आप वैसी ही हालत में छोड़कर आये हैं. घर की हालत भी कोई बेहतर नहीं है. शायद घर के दुसरे सदस्यों की लाइफस्टाइल भी आपकी ही तरह की हो गई है इसलिए हमेशा खटपट होती रहती है. बच्चे अपनी चीज़ों को जगह पर नहीं रखते और आप उनपर चिल्लाते रहते हैं. टीवी देखते समय आप जल्दी में बनाया गया तला-भुना खाना खा लेते हैं और उनींदे होकर सोने चले जाते हैं.

हो सकता है कि आपका रोजमर्रा का जीवन इतना बुरा न हो लेकिन इससे आपको उन बातों का पता तो चल ही गया होगा जिनके कारण लोग तनावग्रस्त हो जाते हैं. कारण तो और भी बहुत हो सकते हैं पर उनपर चर्चा बहुत लम्बी हो जायेगी.

तनाव उत्पन्न करने वाले कारणों को कुछ समझ और विचारपूर्वक दूर किया जा सकता है. ये हैं उसके तरीके:-

1 – तनाव को पहचानें – यह सबसे महत्वपूर्ण प्रक्रिया है. जो बातें आपको तनावग्रस्त करती हैं उन्हें यदि आप केवल पहचान ही लेंगे तो उन्हें दूर करने के उपाय करना आसान हो जायेगा. स्वयं को दस मिनट दें और सोचें कि आज आप तनाव में और दबाव में क्यों रहे. सप्ताह में ऐसा कितने बार होता है? कौन से लोग, गतिविधियाँ, बातें आपकी ज़िन्दगी को बोझिल बनाती हैं? टॉप 10 की एक लिस्ट बनायें और देखें कि क्या आप उनमें कुछ परिवर्तन ला सकते हैं या नहीं. एक-एक करके उन्हें सुधारते जाएँ और प्रयासरत रहें.

2 – अनावश्यक संकल्पों को छोड़ दें – हम अपने जीवन में कई सारे संकल्प करते हैं – हमें यह करना है – हमें वह करना है. पत्नी, बच्चे, कामकाज, घर-गृहस्थी, समाज, धर्म, शौक, और ऑनलाइन गतिविधियों से जुड़े कई सारे संकल्पों को हम पूरा करने में लगे रहते हैं. इनमें से प्रत्येक की समीक्षा करें. क्या ऐसा कुछ है जो अच्छे परिणाम की अपेक्षा तनाव देता है. इस कार्य को निर्ममतापूर्वक करने की ज़रुरत है. जो कुछ भी आपके शुख-शांति के रास्ते में आता है उसे बेवज़ह ढोने में कोई तुक नहीं है. उस संकल्प को पहले दूर करें जो ज्यादा तनाव देता हो.

3 – टालमटोल करने की प्रवृत्ति छोडें – हम सभी ऐसा करते हैं. इसके कारण काम का दबाव बढ़ता जाता है. ‘अभी ही करना है’ की आदत डाल लें. अपने इनबॉक्स और टेबल को साफ़ रखें.

4 – व्यवस्था लायें – कुछ हद तक सभी व्यक्ति अव्यवस्था के बीच रहते हैं. यदि हम व्यवस्था बनाये रखने का प्रयास करें और इसमें प्रारंभ में सफल हो भी जाएँ तो भी अव्यवस्था को जगह बनाने में ज्यादा समय नहीं लगता. अपने माहौल में अव्यवस्था रखने से तनाव बढ़ता है. इससे हमें चीज़ें तलाशने में देर लग जाती है और कामकाज में बाधा आती है. अपने परिवेश में व्यवस्था लायें. शुरुआत अपनी टेबल और दराज़ से करें. घर के किसी एक कोने से शुरुआत करें. पूरे घर को दुरुस्त करना ठीक न होगा. छोटे से हिस्से से शुरुआत करें और व्यवस्था को वहां से आगे फैलने दें.

5 – जल्दी उठें – देर से उठना कई परेशानियों की जड़ है. किसी दिन 15 मिनट देर से उठें तो पाएंगे की रोजमर्रा के सभी काम करने के लिए बड़ी मशक्कत करनी पड़ती है. कामकाज पर इसका बुरा प्रभाव पड़ता है. जल्दी उठने की आदत डालें. इसी के साथ जल्दी सोने की आदत भी डालनी चाहिए. काम पर जल्दी निकालने से आप ट्रेफिक की समस्या से बच जाते हैं और ड्राइविंग में मज़ा भी आता है. यह जांचें की आपको तैयार होने में कितना समय लगता है और कहीं पहुँचने में कितना समय लगता है. इस समय को कम करके न आंकें. एक छोटा सा अंतराल भी बड़ा बदलाव ला सकता है. सिर्फ दस मिनट का परिवर्तन लाकर देखें. आपको फर्क पता चलेगा.

6 – दूसरों को नियंत्रित न करें – याद रखें, हम सारी दुनिया के मालिक नहीं हैं. हम चाहते तो हैं कि ऐसा होता लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि हम ऐसा ख्याल ही अपने मन में पाल लें. हम चीज़ों और लोगों को नियंत्रित करने का प्रयास करते हैं और इसमें सफल नहीं हो पाते. इससे तनाव बढ़ता ही है. दूसरी चीज़ें जैसी घटित होती हैं और दूसरे लोग जैसे काम करते हैं उसे स्वीकार कर लें. यह भी स्वीकार कर लें कि अलग-अलग परिस्थितियों में चीज़ें एक ही तरह से नहीं होतीं. धयान रखें, आप केवल स्वयं पर ही नियंत्रण रख सकते हैं. इसीलिए दूसरों को नियंत्रित करने से पहले स्वयं को काबू में रखने का काम करें. यह भी सीखें कि स्वयं पर काम थोपने के बजाय आप दूसरों से भी उसे करवा सकते हैं. हममें दूसरों को अपने अधीन रखने कि अदम्य इच्छा होती है. इससे बचने में ही हमारी भलाई है. यह जीवन को तनावमुक्त रखता है.

7 – मल्टीटास्किंग बंद करें – मल्टीटास्किंग का अर्थ है एक साथ कई काम करना, जैसे कम्प्युटर कर लेता है. कई लोग इसे बहुत बड़ा गुण समझते हैं लेकिन हकीकत में इसके नुकसान अधिक हैं. यह हमारी काम करने की गति को सुस्त और बाधित कर देता है. इससे काम के ज़रूरी पक्षों से ध्यान हट भी सकता है. यह तनाव बढ़ाता है. एक वक़्त में एक ही काम करें.

8 – ऊर्जा का क्षय रोकें – यदि आपने पहली स्टेप में बताये अनुसार तनाव उत्पन्न करनेवाले कारणों की पहचान की है तो आपने शायद ऐसे काम भी नोट किये होंगे जो आपकी ऊर्जा को सिर्फ नष्ट करते हैं. कुछ काम ऐसे होते हैं जिनमें दूसरे कामों कि अपेक्षा ज्यादा ऊर्जा और समय लगता है. उन्हें पहचानें और हटायें. जिंदगी बेहतर जीने के लिए भरपूर ऊर्जा का होना जरूरी है.

9 – मुश्किल लोगों से दूर रहें – क्या आप उन्हें जानते हैं? ये लोग हैं आपके बौस, कलीग, कस्टमर, दोस्त, परिजन, आदि. कभी-कभी ये ही हमारी ज़िन्दगी को मुश्किल बना देते हैं. उनसे लड़ना ठीक न होगा इसलिए उन्हें टालने में ही भलाई है.

10 – सरलीकरण करें – अपनी दिनचर्या को सरल-सहज करना बहुत ज़रूरी है. अपने संकल्प, सूचना-व्यवस्था, आवास और कार्यस्थल, और जीवन में घटित हो रही बातों को सरल बनाना ज़रूरी है. इसके अच्छे परिणाम होते हैं. इसके लिए इसी ब्लौग पर कुछ और लेखों में सुझाव बताये गए हैं.

11 – स्वयं को समय दें – स्वयं को थोडा अधिक समय देने का प्रयास करें. ज़रूरी नहीं है कि हर काम घड़ी देखकर किया जाए. समय की कमी हो तो मीटिंग टाल दें. यदि फोन या ई-मेल से बात बनती हो तो मिलने की क्या ज़रुरत है? यदि यह संभव न हो तो मीटिंग का कोई वक़्त फिक्स न करें. लोगों से कहें कि वे आपको फोन करके पूछ लें कि आप फ्री हैं या नहीं. इस तरह कभी-कभार बचने वाले थोड़े-थोड़े समय को स्वयं को देने में या पसंदीदा काम करने में लगायें.

12 – धीरे करें – आपाधापी में लगे रहने के बजाय थोडी कम रफ़्तार से काम करने में चीज़ें बेहतर तरीके से होती हैं. आननफानन टाइप करके बाद में गलतियाँ सुधारने से बेहतर है कि धीरे टाइप करें. खाने का लुत्फ़ उठायें, लोगों से मन बहलायें, दुनिया देखें. तनाव दूर करने में यह टिप बड़ी कारगर है.

13 – दूसरों की मदद करें – यह टिप विरोधाभासी नहीं है. यह न सोचें कि आप तो वैसे ही काम के बोझ तले दबे हुए हैं और दूसरों कि मदद करके तो आपका कचूमर ही नक़ल जायेगा. दूसरों की मदद करने से, स्वयंसेवक के बतौर काम करने से, या चैरिटी संगठन में काम करने से आप भीतर से बहुत अच्छा अनुभव करते हैं और यह आपका तनाव दूर करता है. यदि आप दूसरों पर नियंत्रण ही करना जानते हैं तो यह आपके लिए कुछ मुश्किल होगा. यदि आप इसे बहुत सरसरे तरीके से करते हैं तो इसका लाभ आपको न मिलेगा. इसे सहजता और सद्भावना से करें. दूसरों का जीवन बेहतर होगा तभी आपका जीवन बेहतर बनेगा.

14 – ज़रा सा आराम करते चलें – कामकाज के दौरान छोटे-छोटे ब्रेक लेना सही रहता है. यदि आप दो घंटों से काम में भिडे हुए हैं तो जरा ठहरें. अपने कन्धों और बांहों को आराम देने के लिए फैलाएं. टहलें, पानी पियें. बाहर जाएँ, खुला आसमान देखें, ताजी हवा में साँस लें. किसी से बात करें. रचनात्मकता अच्छी बात है लेकिन जीवन उससे ज्यादा कीमती है. अपनी ऑनलाइन गतिविधियों पर भी थोड़ा नियंत्रण रखें.

15 – काम छोड़ दें – यह भयावह टिप है. इसे कर पाना सबके बस की बात नहीं है. सच कहूँ तो आपका कामकाज या नौकरी  आपके तनाव का सबसे बड़ा कारण है. यदि आपको आर्थिक मोर्चे पर कुछ सुरक्षा हासिल है तो ज़रा सोचें – क्या आप नौकरी के बदले कुछ ऐसा कर सकते हैं जो आप सदैव करना चाहते थे. यदि आप ऐसा कर पाते हैं तो आपके जीवन में एड़ी से चोटी तक परिवर्तन आ जायेगा. केवल यही टिप आपका तनाव ९०% तक कम कर सकती है. इसे यूँ ही टालने की बजाय गंभीरता से लें – शायद ऐसी कई संभावनाएं हों जिनकी ओर आपका ध्यान नहीं गया हो.

16 – ज़रूरी कामों की लिस्ट बनायें – क्या इसके बारे में भी विस्तार से बताना पड़ेगा? ज़रूरी कामों को प्राथमिकता के आधार पर करने के लिए एक लिस्ट बना लेना चाहिए और उसके अनुसार काम करना चाहिए.

17 – कसरत करना – इसके कई लाभ हैं. शारीरिक और मानसिक स्तर पर यह बहुत प्रभावशील है. यह शरीर को फिट रखने के साथ-साथ तनाव से भी कुशलता से निपटती है. एक स्वस्थ और फिट व्यक्ति थकान और दबाव का सामना बेहतर तरीके से कर सकता है. दूसरी ओर, अस्वस्थ होना स्वयं में बहुत बड़ा घाटा है. कसरत हमें रोग और तनाव से दूर रखती है.

18 – अच्छा खाएं – यह कसरत करने जितना, बल्कि उससे भी अधिक महत्वपूर्ण है. सम्यक, संतुलित, और सात्विक आहार शरीर और मन को पुष्ट करता है. तला हुआ चटपट खाना हाजमे को ख़राब करता है और शरीर को बोझिल बनाता है.

19 – आभारी बनें – यदि आप दूसरों का आभार व्यक्त करते हैं तो इसके सकारात्मक परिणाम होते हैं. आपके जीवन से ऋणात्मक सोच बाहर निकलती है. दूसरे भी आपकी इस क्रिया से अच्छा अनुभव करते हैं. अपने जीवन में आपने जो कुछ भी पाया है और जिन व्यक्तियों का साथ आपको मिला है उसे उपहार मानकर उसके लिए ईश्वर का आभार व्यक्त करें. जीवन के प्रति इस प्रकार का दृष्टिकोण रखकर आप अपने जीवन में सुख और शांति के आने का मार्ग प्रशस्त करेंगे. यह आत्मिक समृद्धि का सूत्र है.

20 – ज़ेन जैसे परिवेश का निर्माण – ऊपर बताये गए अनुसार अपनी टेबल और दराज़ को व्यवस्थित करने का प्रयास करें. ऐसा करने के बाद उस व्यवस्था को और दूसरे स्थानों की ओर फैलने का अवसर प्रदान करें जब तक आपके इर्दगिर्द सरल, शांत, ज़ेन जैसे परिवेश का निर्माण न हो जाए. ऐसे परिवेश में जीने और काम करने से जीवन में अतुलनीय शांति और रचनात्मकता आती है और तनाव और दबाव कोसों दूर हो जाते हैं.

(यह पोस्ट ज़ेनहैबिट्स ब्लॉग से लेकर अनूदित/संपादित की गई है)

Photo by Mitchell Hollander on Unsplash

There are 40 comments

  1. Ranjana

    आपका आभार किन शब्दों में व्यक्त करूँ या इस आलेख की प्रशंशा के लिए यथोचित शब्द का संधान कैसे करूँ …. बिलकुल ही समझ नहीं पा रही…..

    सौ प्रतिशत सहमत हूँ आपसे…..बस इतने ही उपाय आजमाने हैं तनाव मुक्ति के लिए…आपकी बातों को आत्मसात कर जीवन में उसे अपनाने का प्रयास करुँगी…

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  2. सतीश चन्द्र सत्यार्थी

    बहुत बहुत धन्यवाद आपको निशांत भाई.. हिन्दी में ऐसे आलेखों की सख्त जरुरत है..
    एक २१वां तरीका और जोड़ना चाहूँगा इसमें जो मैंने अभी हाल ही में खुद अपनाया है..
    जब हमारे बहुत सारे काम पेंडिंग होते हैं तो हम कोइ भी काम करते समय बाकी बचे कामों के बारे में भी लगातार सोचते रहते हैं.. कि इसे खत्म करके फिर वो करना है.. ऐसे करना है इत्यादि.. और इस प्रक्रिया में हम जितनी ऊर्जा वर्तमान काम को करने में लगाते हैं उससे ज्यादा बस बाकी के कामों के बारे में सोचने में व्यर्थ करते हैं और इसप्रकार लगातार तनाव बढाते रहते हैं..
    तो उपाय यह है कि चाहे हजार काम पड़े हों एक बार में एक काम तन्मयता से करें दूसरे का ख्याल भी न लाएं उस बीच में.. मतलब यह कि मल्टी-थिंकिंग न करें….. 🙂
    इस तरह अगर आप “इतने सारे काम पेडिंग हैं” ये पैनिक क्रियेट न करके आराम-आराम से करें तो आप देखेंगे कि आप उतने ही समय में अधिक काम पूरा कर पाए हैं… और वो भी बिना टेंशन लिए…

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    1. Sushil Kumar

      Mujhe àap ka sujhav bahut accha laga.Jo bhi Maine padha.pata nahi mere man mai kya chats rahta hai.kya sochta hu.meri family hai. Kabhi to a is a lagta hai mera koi nahi hai .akela rahna ,bate n karna kisi se,chehre pe khuahi nahi rahti.chata hu faltu ki air bekar bato par dhyan n du.n sochu.par is se multi nahi mil pata.apna gussa apno par dikhana parta hai.abhi mai ek cancer hospital mai job Marta hu .dinbhar main 100 se upar patients aate hai.kisi ko kuch kisi ko kuch bhayankar bimari hai .ate hai ilaz karte hai.kuch thik ho hate hai . kuch nahi ho pathe hai.mere man mai , kahe to dimag mai y bat ghar kar gayi hai.kahi yeh bimari mujhe n ho jaye.mujhe dar laga rahta hai.mai kya karu .sar mai dare baba rahta ye soch kar,air kai tarah k khayal ate jate rahte hai.mai babut paresan rahata hu.main is bare apne much doctor se pucha par unka kahan hai aisa kuch nahi hota .y there man ka bharam hai.aisa hota to game kab ka ho jata.kyoki him daily patient ko touch karte hai . unke ghau jakhm ko saf karte hai unka ilaz karte hai .humko bhi to ho sakta hai.to tum ye sab mat socha karo aisa nahi hota.par mai bhi yeh janta hu ki aisa nahi hota par dil kuch ,dimag kuch kahta hai.main in sab parsani se mukti pana chahta hu.please mujhe iska samadhan bata do.apne Jo bhi upar kuch chinta tanab se dur rakhne ke upay bataye hai mai unse sahmat hu.main koshish karunga ki main apne jivan main in bato ka amal karu use apna saku .
      Apka the dil se dhanyabad.

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  3. lakhwinderkumar

    Hi sir mera naam lakhwinder hai meri problem ye hai k mai jab khana khata hu toh mujhe aisa lagta hai k khana mere glle m atak jayega ya nak m challa jayega ye mera veham mujhe bahut tang karta hai mai puri trha se khaa bhi nahi sakta ye mujhe paani se niglna padta hai meri helth bhi bigadti ja rahi hai mai esme fasta ja rha hu please help me ise door karne ka koi upaay bataye

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