महान दार्शनिक और राजनीतिक अर्थशास्त्र के प्रणेता कार्ल मार्क्स को जीवनपर्यंत घोर अभाव में जीना पड़ा। परिवार में सदैव आर्थिक संकट रहता था और चिकित्सा के अभाव में उनकी कई संतानें काल-कवलित हो गईं। मार्क्स की पत्नी जेनी मार्क्स बहुत सुंदर महिला थीं। उनके पिता जर्मनी के एक धनी परिवार से सम्बन्ध रखते थे। जेनी वास्तविक अर्थों में कार्ल मार्क्स की जीवनसंगिनी थीं और उन्होंने अपने पति के आदर्शों और युगांतरकारी प्रयासों की सफलता के लिए स्वेच्छा से गरीबी और दरिद्रता में जीना पसंद किया।
जर्मनी से निर्वासित हो जाने के बाद मार्क्स लन्दन में आ बसे। लन्दन के जीवन का वर्णन जेनी ने इस प्रकार किया है – “मैंने फ्रेंकफर्ट जाकर चांदी के बर्तन गिरवी रख दिए और कोलोन में फर्नीचर बेच दिया। लन्दन के मंहगे जीवन में हमारी सारी जमापूँजी जल्द ही समाप्त हो गई। सबसे छोटा बच्चा जन्म से ही बहुत बीमार था। मैं स्वयं एक दिन छाती और पीठ के दर्द से पीड़ित होकर बैठी थी कि मकान मालकिन किराये के बकाया पाँच पौंड मांगने आ गई। उस समय हमारे पास उसे देने के लिए कुछ भी नहीं था। वह अपने साथ दो सिपाहियों को लेकर आई थी। उन्होंने हमारी चारपाई, कपड़े, बिछौने, दो छोटे बच्चों के पालने, और दोनों लड़कियों के खिलौने तक कुर्क कर लिए। सर्दी से ठिठुर रहे बच्चों को लेकर मैं कठोर फर्श पर पड़ी हुई थी। दूसरे दिन हमें घर से निकाल दिया गया। उस समय पानी बरस रहा था और बेहद ठण्ड थी। पूरे वातावरण में मनहूसियत छाई हुई थी।”
और ऐसे में ही दवावाले, राशनवाले, और दूधवाला अपना-अपना बिल लेकर उनके सामने खड़े हो गए। मार्क्स परिवार ने बिस्तर आदि बेचकर उनके बिल चुकाए।
ऐसे कष्टों और मुसीबतों से भी जेनी की हिम्मत नहीं टूटी। वे बराबर अपने पति को ढाढस बांधती थीं कि वे धीरज न खोयें।
कार्ल मार्क्स के प्रयासों की सफलता में जेनी का अकथनीय योगदान था। वे अपने पति से हमेशा यह कहा करती थीं – “दुनिया में सिर्फ़ हम लोग ही कष्ट नहीं झेल रहे हैं।”
अत्यन्त प्रेऱक प्रसंग। यदि कार्लमार्क्स का जीवन भी उद्घाटित किया जाए तो उस के बारे में भी जानकारी प्राप्त हो सके।
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इस आलेख के लिए आभार
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सच्ची बात। “दुनिया में सिर्फ़ हम लोग ही कष्ट नहीं झेल रहे हैं।”
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IS PRASANG ME SAHI KAHA GAYA HAI KI “DUNIYA MEIN HAM HI LOG KASHTH NAHI CHHEL RAHE HAI
APKO BAHUT DHANYAWAD
KAL MARKS KI JIVANI BHI PADNA CHAHATA HU NISHAT JI
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Badhiya hai – jeevan main is ehsas ke aate hee apna dukh chhota lagne lagata hai
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manv manv ka sosan band kar de to koi dukhi nhi hoga jivan ak khel ha aa jivan ka peta kisi ke pas nhi ha eis duniya me koi kisi ka nhi ha patni bhi sath nhi jalti arthi par
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karl marks is diamond……
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nice………………..nice……………………………nice………………….
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Mera jivan marz se kaphi prabhvit hua hai.
vastv me marx ek mahan purus tha jo apni bato pe marte dam ta ada raha
usne is duniya ko ek aisa drsan diya jise yah duniya bhula nahi ski
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aapke dwara di gayee yah jaankaari un logon ke gaal pr ek tamacha hai jo log maante hain ki saamyawaad ki baten krne wale log keval bhasan jhaadte hain aur samaanta ke naam pr apne ko alag rakhte huye doosron ki samanta ki baten krte hain…
yah Jeni ka mahan tyaag he thaa jisne mahan karl ko poori duniyaan ke saamne aaj ek wibhooti bana kr rakh diya hai…
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Kaal marks ki vicharoon per unki garibi ka perbhaw pada tha
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jeni ka biswash nai unka sabse bada tagta tha. aru unaka garibi nai bishwo ko marga darshan kar harehe
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यह प्रशंग उन लोगों को सुकून जरूर देगा जिनकी जिंदगी में आज भी तपस्या है ।
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i like this
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सर, ये प्रसंग अच्छा लगा किंतु जो आपने बताया कि उनके कुछ संताने अभाव के कारण काल कलवित हो गई इसके लिये मै ये कहना चाहता हॅूं कि हमें अपने सिद्धांत अपने और अपनी पत्नी के लिये रखना चाहिये न कि उन शिशुओं के लिये जिन्हें भगवान ने हमे दिया है कम से कम हमें इतना तो कमना चाहिये कि उन बच्चों को भरपेट भोजन सोने से पहले तो दे सकें आपने बताया कि उनकी पत्नी के पिता एक अच्छे व्यवसासी थे किंतु सर यदि हमारे बच्चे को इस तरह से कोई तकलीफ है तो उसके नाना जो कि सामर्थवान हैं उसकी जिन्दगी के लिये कुछ हेल्प कर सकते हैं तो लेने में क्या बुराई है
आज के परिवेश में यदि बच्चों को बडे होने पर पता पडे कि उसके पिता ने उसे इसलिये नही पढाया कि वह किसी के आगे हाथ पैर नही जोडना चाहता था तो उसके बच्चे से पूछिए उसके पास क्या जबाब होगा
बहुत से मॉं-बाप ऐसे हैं जो शादी के बाद तलाक ले लेते हैं जिससे उनके बच्चों की जिंदगी सौतेले वाप या मां के आंचल में रह कर पूरी की पूरी बिगड जाती है क्यों कुछ मॉं के सिद्धांत होते हैं और कुछ पिता के जिसके कारण वे अपने सिद्धांतों के लिये उन बच्चों को जीवन खराब कर देते हैं जिन्होंने होश भी नही संभाला होता
मै ये नही कह रहा किं बुरे दिन किसी पर नही आते लेकिन यदि ऑप्शन मौजूद है तो अपने बच्चे को मरने से बचाने में आप अपना कर्तव्य पूरा कर सकते हैं
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भगत सिंह जी आप की बातो से मै सहमत नहीं हु
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yey artical therai ramro 6
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द्विवेदी जी से सहमति…वाकई जेनी बहुत सुन्दर हैं…वैसे मार्क्स भी अच्छे ही दिखते हैं…
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Karl marks and his wife was truly looking best.
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Jeni se hame bahut prerna mili
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Jo log jamane ki thokaro me palte hai wahi ak din jamane ko badalte hai.Jab kisi des ya rastr me pariwatan hona band ho jata hai shasak verg shasit verg par athah atyachar karta hai arthat samaj me arajakta vyapt ho jati hai to us samaj ko badalane ke liye arthat shosn rahit samaj ki stgapana ke liye jisme samanta bandutw bhai chara ho aise samaj ke stgapana ke liye chahe jarmani me karl marks ho ya bharat me dr.Ambedakar samaj ke hit ke liye apano ko kurban karana hi padata hai quki arthik abhav me aisa ho hi jata hai.Aise log hi mahan hote hai.
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Such mai karl marx ke wife sche the
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is there any movie made on this great revolutionary person karl Marx
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GREAT MAN IN THIS WORLD
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