समाचार पत्रों के पाठक विश्व की सबसे बड़ी समाचार एजेंसी रॉयटर्स के नाम से भली भांति परिचित हैं लेकिन बहुत कम लोग यह जानते हैं कि किन कठिन परिस्थितियों में और कितने कम साधनों से इसका प्रारम्भ हुआ था।रॉयटर्स के संस्थापक पॉल जूलियस रायटर का जन्म 1816 में जर्मनी के एक यहूदी परिवार में हुआ था। उन्होंने समाचार एकत्र करने का काम जर्मनी के एक्स नामक नगर में प्रारम्भ किया। वे कबूतरों द्वारा बेल्जियम के ब्रुसेल्स नगर से शेयरों के उतार-चढ़ाव के समाचार मंगवाते थे और अन्य लोगों से तीन घंटा पहले व्यापारियों को दे देते थे। इससे उन्हें जो धनराशि मिलती उससे उनका उत्साह बढ़ता गया।
1851 में अपना कारोबार बेचकर वे लन्दन में जा बसे। उन्होंने स्टॉक एक्सचेंज भवन में एक दफ्तर ले लिया ताकि स्टॉक एक्सचेंज की खबरें यूरोप के व्यापारियों को भेज सकें। जॉन ग्रिफिथ नामक एक बातूनी लड़के को उन्होंने चपरासी के काम पर रख लिया।
बहुत लंबे समय तक वे दोनों दफ्तर में खाली बैठे रहते थे। एक दिन पॉल एक सस्ते रेस्तराँ में खाना खा रहे थे कि जॉन दौड़ता हुआ आया और हांफते हुए बोला – “सर, एक सज्जन आपसे मिलने आए हैं।” पॉल ने अधीर होकर पूछा – “बहुत बढ़िया, उनका नाम क्या है?” “नहीं मालूम, विदेशी लगते हैं” – जॉन ने बताया। पॉल खुश होकर बोले – “विदेशी! भगवान् का लाख-लाख शुक्र है कि कारोबार की शुरुआत हुई।” लेकिन दूसरे ही पल वे आशंकित होकर बोले – “अरे, तुम उन्हें वहां अकेले छोड़कर यहाँ आ गए! कहीं ऐसा न हो कि वे चले जायें। तुमने उनका पता लिख लिया है न?”
“सर, आप निश्चिंत रहें। वे दफ्तर से कहीं नहीं जा सकते क्योंकि मैं बाहर से ताला लगाकर आया हूँ” – जॉन बोला।
इस प्रकार रॉयटर्स समाचार एजेंसी का नया कारोबार शुरू हुआ, जिसके संवाददाता आज विश्व के कोने-कोने में हैं।
सही है बिजनैस में सब जायज है ।
पसंद करेंपसंद करें
sabre ka fal mitha hota hai
पसंद करेंपसंद करें