प्रसिद्द चीनी दार्शनिक कन्फ़्युशियस से मिलने एक सज्जन आए। दोनों के बीच बहुत सारी बातों पर चर्चा हुई। कन्फ़्युशियस ने उस व्यक्ति के बहुत सारे प्रश्नों के उत्तर भी दिए।
उन सज्जन ने कन्फ़्युशियस से पूछा – “लंबे जीवन का रहस्य क्या है?”
कन्फ़्युशियस यह सुनकर मुस्कुराये। उन्होंने उस व्यक्ति को पास बुलाकर पूछा – “मेरे मुंह में देखकर बताएं कि जीभ है या नहीं।”
उस व्यक्ति ने मुंह के भीतर देखकर कहा – “जीभ तो है।”
कन्फ़्युशियस ने फ़िर कहा – “अच्छा, अब देखिये कि दांत हैं या नहीं।”
उन सज्जन ने फ़िर से मुंह में झाँककर देखा और कहा – “दांत तो एक भी नहीं हैं।”
कन्फ़्युशियस ने पूछा – “अजीब बात है। जीभ तो दांतों से पहले आई थी। उसे तो पहले जाना चाहिए था। लेकिन दांत पहले क्यों चले गए?”
वह सज्जन जब इसका कोई जवाब नहीं दे सके तो कन्फ़्युशियस ने कहा – “इसका कारण यह है कि जीभ लचीली होती है लेकिन दांत कठोर होते हैं। जिसमें लचीलापन होता है वह लंबे समय तक जीता है।”
Photo by Johann Walter Bantz on Unsplash
प्रेरक प्रसंग।धन्यवाद।
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सच बता रहा हूं मेरी पड़नानी ने बचपन में कई बार अपनी जीभ दिखाकर यह सीख दी थी। मुझे अब तक वे दृश्य ऐसे याद हैं जैसे कल ही की बात हो। एक बात और जब 89 वर्ष की आयु में उनका देहावसान हुआ तो उनके मुंह में न केवल जीभ थी बल्कि सहेजकर रखे गए कुछ साफ सुथरे दांत भी थे। तब मैंने सोचा था कि सलीके से रखे जाएं तो कठोर दांत भी अंत तक साथ निभा सकते हैं। हमारी गलती यह होती है कि कठोरता के कारण हम दांतों को इग्नोर करते हैं जबकि वे कोमल मसूड़ों पर टिके होते हैं। 🙂
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V good sir blog say acchi bat to aap na bata de saluite sir aap ko
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bahut achhi lagi kahani,jiva ka raaz bhi pata chala jo lambi umar se taluk rakhta hai.
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बहुत ही प्रेरक प्रसंग . जो झुकते नहीं वो टूट जाते है .
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प्रेरणा देता बहुत अच्छा लगा यह प्रसंग .शुक्रिया
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वाह बहुत गहरी बात कह दी।
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