कल ज्ञानदत्त जी ने और यूनुस भाई ने इवान तुर्गेनेव वाली कहानी के भारतीय सन्दर्भ के बारे में खूब याद दिलाया। प्रस्तुत है महाप्राण निराला की वह कथा, या प्रसंग कह लें:
एक बार निराला को उनके एक प्रकाशक ने उनकी किताब की रायल्टी के एक हज़ार रुपये दिए। धयान दें, उन दिनों जब मशहूर फिल्मी सितारे भी दिहाडी पर काम किया करते थे, एक हज़ार रुपये बहुत बड़ी रकम थी।
रुपयों की थैली लेकर निराला इक्के में बैठे हुए इलाहाबाद की एक सड़क से गुज़र रहे थे। राह में उनकी नज़र सड़क किनारे बैठी एक बूढी भिखारन पर पड़ी। ढलती उमर में भी बेचारी हाथ फैलाये भीख मांग रही थी।
निराला ने इक्केवाले से रुकने को कहा और भिखारन के पास गए।
“अम्मा, आज कितनी भीख मिली?” – निराला ने पूछा।
“सुबह से कुछ नहीं मिला, बेटा”।
इस उत्तर को सुनकर निराला सोच में पड़ गए। बेटे के रहते माँ भला भीख कैसे मांग सकती है?
बूढी भिखारन के हाथ में एक रुपया रखते हुए निराला बोले – “माँ, अब कितने दिन भीख नहीं मांगोगी?”
“तीन दिन बेटा”।
“दस रुपये दे दूँ तो?”
“बीस दिन, बेटा”।
“सौ रुपये दे दूँ तो?
“छः महीने भीख नहीं मांगूंगी, बेटा”।
तपती दुपहरी में सड़क किनारे बैठी माँ मांगती रही और बेटा देता रहा। इक्केवाला समझ नहीं पा रहा था की आख़िर हो क्या रहा है! बेटे की थैली हलकी होती जा रही थी और माँ के भीख न मांगने की अवधि बढती जा रही थी।
जब निराला ने रुपयों की आखिरी ढेरी बुढ़िया की झोली में उडेल दी तो बुढ़िया ख़ुशी से चीख पड़ी – “अब कभी भीख नहीं मांगूंगी बेटा, कभी नहीं!”
निराला ने संतोष की साँस ली, बुढ़िया के चरण छुए और इक्के में बैठकर घर को चले गए।
क्या यह बुढ़िया को दिया गया दान था या एक बेटे का अपनी दुखियारी माँ के कष्टों का निरूपण, या कुछ और?
यह निराला जी का सनकीपन था। वह बुढ़िया दूसरे दिन भी कहीं और भीख मांग रही होगी।
पसंद करेंपसंद करें
यही मैं कह रहा था। हम निराला की बात कर रहे हैं – बुढ़िया की नहीं।
पसंद करेंपसंद करें
निराला निराले ही थे। यर्थाथवादी होते तो अर्थोपार्जन का रास्ता ढूंढने के बाद ब्लॉग लिख रहे होते और टिप्पणी का इंतजार कर रहे होते। बस थोड़ी सी ही तो बात होती है जो विशिष्ट को सामान्य से अलग करती है।
पसंद करेंपसंद करें
hamaare dekhne ke andaaj se cheejen kitni bhinna nazar aatee hain yah aapki post par mitron dwaraa dee gayee comments se pata lagaa
पसंद करेंपसंद करें
NIRALA Wakai NIRALA.
Jai Ho.
पसंद करेंपसंद करें