मैं कल अपनी एक परिचित से बात कर रहा था। बाहर से देखें तो लगता है कि उसके पास सब कुछ है: शानदार घर जिसमें स्वीमिंग पूल भी है, बहुत अच्छा पति, दो प्यारे-प्यारे बच्चे, और आरामदायक ज़िन्दगी। वार्तालाप के दौरान बात घूमफ़िर कर संतोषप्रद जीवन पर आ गई। उसने कहा – “वही तो मैं चाहती हूँ – मैं संतुष्ट नहीं हूँ”।उसकी आँखों में आंसू आ गए। मेरा भी दिल भर आया।वह ऐसी अकेली महिला नहीं है। बहुत लोगों को यह लगता है कि उनके जीवन में कुछ कमी है। उन्हें लगता है कि अपने सारे सपने पूरे कर लेने के बाद भी वे खुश नहीं हैं, संतुष्ट नहीं हैं, उनके जीवन में खालीपन है।मैं भी अपने जीवन में ऐसे कई पड़ावों से गुज़रा हूँ और मैंने बड़ी मुश्किल से उन्हें पार किया है। मुझे मालूम है कि उनसे जूझना मुश्किल है लेकिन नामुमकिन नहीं। मेरी ज़िन्दगी में ऐसे सभी मौकों पर जब मुझपर असंतोष हावी होने लगा तब मैंने पाया कि नीचे लिखी तीन बातों पर अमल करके मैं उससे निपट सकता हूँ:
१ – अपना नजरिया और परिप्रेक्ष्य बदलना
२ – कोई सकारात्मक काम करना
३ – कुछ ऐसा करना जो जीवन को नया अर्थ देता हो
ये बातें एक साथ अमल में ली जा सकती हैं या अलग-अलग, या जैसे भी आप चाहें। ये साथ में भी प्रभावी हैं और अकेले भी।
इनपर क्रमशः विस्तार से बात करेंगे:-
अपना नजरिया और परिप्रेक्ष्य बदलना
यह बहुत बड़ी बात है। जीवन के प्रति हमारा दृष्टिकोण सबसे अधिक महत्त्व रखता है। ‘सकारात्मक दृष्टिकोण’ रखने के बारे में हम इतना अधिक पढ़ते-सुनते हैं कि हमें यह बहुत सरसरी बात लगने लगती है और हम इसे नज़रंदाज़ करने लगते हैं। मेरे जीवन में इसने हमेशा बेहतर प्रभाव डाला है और इसके बिना मैं आज कुछ भी न होता – मेरा ब्लॉग इतना प्रसिद्द न होता, मेरी किताब इतनी अधिक न पढी जाती, और मैंने तीन मैराथन भी नहीं दौडी होतीं।
‘सकारात्मक दृष्टिकोण’ रखना सिर्फ़ हमारी उपलब्धियां नहीं बढाता बल्कि हमें फ़ौरन ही खुशी दे देता है। इसे अपनाना आपकी मर्ज़ी पर है।
और इसके कारगर तरीके ये हैं:
अ – आपके पास जो कुछ है उसकी कीमत जानें – आपके जीवन में इतना कुछ मूल्यवान है जिसका आपको अंदाजा नहीं है। इतने सारे परिजन और मित्र हमें कितना प्यार करते हैं। प्रेम बहुत चमत्कारपूर्ण भावना है। अच्छी सेहत भी बहुत बड़ा वरदान है। आसपास नज़र घुमाकर देखें – दुनिया इन आंखों से कितनी खूबसूरत दिखती है। कानों में पड़नेवाला मधुर संगीत आत्मा को भी भावविभोर कर देता है। क्या इन सब बातों के लिए ईश्वर को आभार व्यक्त नहीं करना चाहिए? पूरे दिनभर में कुछ लम्हे ऐसे चुन लीं चाहिए जब हम उन सभी सकारात्मक चीज़ों के बारेमें सोचें जो हमें मिली हैं, दूसरों से हमें जो भी मिलता है उसके मन लिए कृतज्ञता का भाव रखें, उन्हें इसके लिए धन्यवाद दें।
ब – हमेशा अच्छाई ढूँढें – हर बात में कोई न कोई अच्छाई भी ढूंढी जा सकती है और बुराई भी। मेरे दादाजी कि मृत्यु ने मुझे इस बात का अहसास कराया कि उनके रहते जीवन कितना बेहतर था और वे कितने प्यारे आदमी थे। हमारे प्रिय लोग हमारे साथ मौजूद हैं, यह कितनी अच्छी बात है। हमें भी अनमोल जीवन मिला हुआ है, क्या इसके लिए हम किसी के शुक्रगुजार होते हैं? बीमारी हमें आराम का अवसर प्रदान करती है। नौकरी छूट गई हो तो ज़िन्दगी नए सिरे से शुरू करने का और परिवार के साथ ज्यादा समय रहने का मौका मिलता है। मचल जाने वाला बच्चा अपने को व्यक्त करने का जरिया ढूंढता है, अपनी शख्सियत का अहसास कराता है, मनुष्य ही ऐसा कर सकता है। आपको खिझा देने वाली बात में या आपको सतानेवाले व्यक्ति में कुछ अच्छा ढूंढें, आपको ज़रूर मिलेगा।
स – आप बदलाव ला सकते हैं, वाकई – “अब कुछ अच्छा नहीं होगा – चीज़ें बद से बदतर हो जाएँगी” – ऐसी बातें भी हमारी समस्या की जड़ हो सकती हैं। यह मानना शुरू कर दें की आप चीजें बेहतर कर सकते हैं और बदलाव शुरू हो जाएगा। आप बदलाव ला सकते हैं! – मैंने और दूसरों ने ऐसा करके देखा है और इसमें सफल हुए हैं! यह सम्भव है!
द – हर क्षण का आनंद लें – आप इस समय जो भी कर रहे हों या दिन के किसी भी समय जो कुछ भी करते हों उसे आनंद के साथ करें – पढ़ना, लिखना, दोस्तों से बातचीत, नहाना, सीढियां चढ़ना, खाना, कपड़े धोना, सफाई करना, कुछ भी। ध्यान से देखें तो पाएंगे की हर गतिविधि में आनंद ढूँढा जा सकता है। इससे ज़िन्दगी खुशनुमा हो जाती है।
कोई सकारात्मक काम करना
इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि आप क्या कर रहे हैं, वह सिर्फ़ सकारात्मक होना चाहिए। सकारात्मकता कि दिशा में चलें, चाहे केवल एक छोटा सा कदम ही बढायें। चलने कि शुरुआत करें।
आपका यह छोटा सा कदम आपको सफलता कि राह पर मीलों आगे ले जाएगा। हर सफलता को सीढ़ी बनाकर और ऊपर, और आगे बढ़ते जाना है। हज़ार मील की यात्रा भी सिर्फ़ एक कदम से ही शुरू होती है। एक-एक कदम करके ही पूरा सफर तय हो जाता है।
ये दो काम करके देखें:-
- कसरत – दिन में सिर्फ़ दस मिनट के लिए कसरत करके देखें। थोड़ी दूर तक चलें या दौडें, तैरें, योग करें, दंड-बैठक लगायें, चाहे जो मर्ज़ी करें। प्रतिदिन कसरत करने के अत्प्रत्याषित परिणाम होते हैं। यह गतिविधि कायापलट कर देती है। इससे मिलनेवाले लाभ को कई दूसरी दिशाओं में मोड़ा जा सकता है। इसके विषय में विस्तार से यहाँ पढ़ें। इसे भी पढ़ें।
- आसपास व्यवस्था लाना – अपने आसपास देखें और चीज़ों को व्यवस्थित रखने का प्रयास करें। कोई अलमारी, टेबल, कार्नर, आदि साफ़ करें। अपने माहौल में से अस्तव्यस्तता को हटा दें। चाहें तो धीरे-धीरे हटाएँ या एक झटके में हटा दें। इससे आपको अपने जीवन में सुंदर बदलाव लाने में बहुत मदद मिलेगी। इनको भी पढ़ें: साफ़-सफाई कैसे करें, ५-मिनट में साफ़-सफाई, साफ़-सफाई के नुस्खे, अस्तव्यस्तता से जीतना ।
- प्रियजनों के साथ समय व्यतीत करना – मुझे अपने माता-पिता और पत्नी-बच्चों के साथ समय गुज़रना अच्छा लगता है। इससे वास्तविक खुशी मिलती है। उनके साथ बिताये क्षण अनमोल हैं, कोई अन्य गतिविधि मुझे उतना उत्साहित और प्रफुल्लित नहीं कर सकती। उनके साथ बहार घूमने जाना, मिलजुल कर खेल खेलना, फ़िल्म देखना – ऐसी कितनी ही बातें साथ में की जा सकती हैं। अगर आपके पास इन बातों के लिए समय न भी हो तो भी आप कुछ समय उनके साथ, उनके पास तो बैठ ही सकते हैं! उनकी बातें सुनें, कोई समस्या होनेपर उनकी मदद करें। इन बातों से आपके और उनके जीवन में अच्छा बदलाव आएगा।
- स्वयंसेवक बनें – इस सुझाव को मानकर देखें। इसके नतीजे बहुत अच्छे मिलेंगे। किसी भी समय जब लोगों को आपकी ज़रूरत हो तब स्वयं को आगे कर देने में और अपना समय और अपना प्रेम उनकी सेवा में प्रस्तुत करने में जो सुख मिलता है वह अन्यत्र दुर्लभ है। ऐसे कई संगठन हैं जिन्हें सेवा कार्य के लिए स्वयंसेवकों की आवश्यकता होती है। उनसे बात करके देखें की आप उनके लिए किस तरह उपयोगी हो सकते हैं।
- रचनाशील बनें – लिखना मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण गतिविधि है। किसी भी प्रकार की रचनाशीलता – लिखना, चित्रकला, संगीत, निर्माण, आदि ऐसी गतिविधियाँ हैं जिनसे जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का प्रवेश होता है। कुछ नए की रचना करने से, स्वयं को विविध माध्यमों से व्यक्त करने से, दूसरों के साथ विचारों का आदान-प्रदान करने से जीवन में नया रंग भरता है।
- दूसरों की ज़िन्दगी को बेहतर बनाना – स्वयंसेवक बनके तो यह किया जा सकता है। इसके आलावा अपने परिजनों, पड़ोसियों, यहाँ तक की अपरिचित व्यक्तियों के लिए भी उनकी मदद करने और छोटी-छोटी बातों से उनको खुशी देने के तरीके ढूँढें। उनके लिए खाना बना सकते हैं, साफ़-सफाई कर सकते हैं, पात्र लिख सकते हैं, कोई चीज़ खरीद सकते हैं, उनकी बात पर ध्यान दे सकते हैं, कुछ भी कर सकते हैं।
ये कुछ ऐसी बातें थीं जिनपे अमल करके जीवन में सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हुए असंतोष को दूर भगाया जा सकता है। मुझे इनसे बहुत सहायता मिली है और मैं विश्वास करता हूँ की आपको भी इनसे लाभ पहुंचेगा।यह पोस्ट लियो बबौटा के ब्लॉग ज़ेन हैबिट्स से कुछ हेरफेर के साथ अनूदित की गई है। मूल पोस्ट आप यहाँ पढ़ सकते हैं।
Photo by Francisco Moreno on Unsplash
सबसे अधिक जरुरी है जीवन में सकारात्मक नजरिया .”‘सकारात्मक दृष्टिकोण’ रखना सिर्फ़ हमारी उपलब्धियां नहीं बढाता बल्कि हमें फ़ौरन ही खुशी दे देता है।”
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सकारात्मक नजरिया जीवन को सही दिशा में ले जाता है। सामग्री के लिए आभार।———-तस्लीम साइंस ब्लॉगर्स असोसिएशन
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