ज़ेन गुरु मोकुसेन हिकी के एक शिष्य ने एक दिन उनसे कहा की वह अपनी पत्नी के कंजूसी भरे स्वभाव के कारण बहुत परेशान था।
मोकुसेन उस शिष्य के घर गए और उसकी पत्नी के चहरे के सामने अपनी बंधी मुठ्ठी घुमाई।
“इसका क्या मतलब है? – शिष्य की पत्नी ने आश्चर्य से पूछा।
“मान लो मेरी मुठ्ठी हमेशा इसी तरह कसी रहे तो तुम इसे क्या कहोगी?” – मोकुसेन ने पूछा।
“मुझे लगेगा जैसे इसे लकवा मार गया है” – वह बोली।
मोकुसेन ने अपनी मुठ्ठी खोलकर अपनी हथेली पूरी तरह कसकर फैला दी और बोले – “और अगर यह हथेली हमेशा इसी तरह फैली रहे तो! इसे क्या कहोगी?”
“यह भी एक तरह का लकवा ही है!” – वह बोली।
“अगर तुम इतना समझ सकती हो तो तुम अच्छी पत्नी हो” – यह कहकर मोकुसेन वहां से चले गए।
वह महिला वाकई इतनी समझदार तो थी। उसने अपने पति को फ़िर कभी शिकायत का मौका नहीं दिया।
Photo by Jeremy Yap on Unsplash
अच्छी शिक्षा देती कहानी ।
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प्रेरणादायक कहानी , न ही मुट्ठी बंद रखो और नहीं खुली , सोच विचार कर खर्च करो .
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वाह क्या बात है।
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jabab nahi is kahani ka… prernadayak kahani
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achi shiksha deti hai yeh choti si kahani
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sahi baat kahi hai sahi tareke ke saath
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achi shiksha chote si kahani mai .
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aapka ye blog dekh kar hardik prasannata hui,,,,
aapke dwara sangrahit kathayen atyant manohaari he, dhanyavaad
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eska shiksha koye bol satkha he???????? mujhe jaldi chahiye me aapk aabari hoge!!!!!
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prernadayak story……..
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bahut acchi kahaniyan hai…….. aur bhi likhiye……..
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बहुत ही अच्छी कहानिया है. प्रेरणा से भरी हुई है! हर बात एकदम सटीक है
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