क्या आप आदतन खर्चीले हैं? अक्सर ऐसा होता होगा कि आप एक सामान लेने जाते हैं और तीन ले आते हैं। ऐसा भी होता होगा कि जिन चीज़ों की आपको ज़रूरत न हो उन्हें भी आप खरीद लेते होंगे। कहीं सेल लगी हो या स्पेशल ऑफर चल रहा हो तो आपकी जेब में हाथ चला जाता होगा। ऐसा है तो आपमें ज्यादा खर्च करने की प्रवृत्ति है जिसपर नियंत्रण होना चाहिए भले ही आपके पास धन की कितनी ही बहुतायत क्यों न हो। अपने खर्चों पर नियंत्रण के लिए और आदतन खर्चा करने से बचने के लिए नीचे बताये गए नुस्खों पर अमल करके देखें।
अपने पास एक छोटा नोटपैड रखिये जिसमें आप उन चीज़ों को नोट करते जायें जिन्हें आप खरीदना चाहते हैं। बाज़ार में जायें तो इस नोटपैड को साथ रखें और वहां भी नोट करते जायें। भले ही आप दुकान से सामान लेते हों या ऑनलाइन, चीज़ें नोट कर लें और उनकी लिस्ट बना लें। आप उन चीज़ों को खरीदें या न खरीदें, उनकी लिस्ट बना लेने का फायदा यह होता है कि हमें यह पता चलने लगता है कि हमारे अवचेतन में पैसा खर्च करने के संस्कार कितने गहरे हैं। यदि आपको इसका भान न हो तो आप खर्च करने की आदत पर नियंत्रण न कर पाएंगे।
अब इन नुस्खों पर अमल करके देखें:
* बड़े मॉल या डिपार्टमेंटल स्टोर या सुपर बाज़ार से खरीददारी करने से बचें – वहां जाने भर से यह तय हो जाता है कि आप अनावश्यक खर्च करने जा रहे हैं। चाहे तो किसी छोटी दुकान से सामान लें या फोन करके सिर्फ़ ज़रूरी सामान घर बुला लें। बड़े-बड़े मॉल या सुपर बाज़ार वाले आपकी जेब हलकी करना चाहते हैं, इसीलिए वे उन सामानों को सबसे पीछे या सबसे ऊपरी तल पर रखते हैं जो बेहद ज़रूरी हैं जैसे राशन का सामान। आपको खरीदना है राशन लेकिन आप दूसरे सामानों के बीच में से उन्हें देखते हुए गुज़रते हैं और आपके मन में उन्हें लेने की इच्छा जाग्रत हो जाती है, और आप ज्यादा खर्च कर बैठते हो।
* जो सामान रोज़ ही लेना पड़ता हो उसे घर पर ही बुलाने लगें – यह अनुवादक का निजी अनुभव है। घर में दो छोटे बच्चे हैं और दूध तो रोज़ लगता ही है। पहले जब ज़रूरत होती थी तब अपने बेटे को गोद में लेकर कॉलोनी की दुकानों से दूध लेने चला जाता था। दुकान में बेटा दूसरी चीज़ें जैसी चौकलेट-चिप्स लेने की जिद करता था और मैं ले बैठता था। बच्चे के मामले में कंजूसी मुझे पसंद नहीं है लेकिन चौकलेट-चिप्स जैसी चीज़ें स्वास्थ्यकर नहीं हैं। इन चीज़ों की खरीद से बचने के लिए मैंने दुकानवाले को रोज़ दूध घर पर देने के लिए कह दिया है। बच्चे के साथ दुकान जितना कम जाऊँगा, गैरज़रूरी सामान पर खर्चा भी उतना ही कम होगा। बच्चे को घर में ही स्वास्थ्यकर चीज़ें बनाकर देने लगे हैं।
* सामान की लिस्ट बनाना – घर में जब कभी खरीदने के लिए कोई ज़रूरी सामान याद आ जाता है तो उसी समय उसे लिख लेता हूँ। बाज़ार जाता हूँ तो लिस्ट के अनुसार ही खरीददारी करता हूँ। बाज़ार जाने के पहले लिस्ट चेक कर लेता हूँ कि कोई सामान छूट तो नहीं रहा है। इस तरह बार-बार बाज़ार जाना बच जाता है, नतीज़तन खर्चा भी कम होता है।
* खर्चे को टालने का प्रयास करें – इसके लिए एक ३०-दिवसीय लिस्ट बना शुरू कर दें। जब भी कुछ खरीदने कि इच्छा हो तो यह संकल्प कर लें कि इसे १ महीने बाद ही लेंगे। यदि १ महीने बाद भी उसे खरीदना ज़रूरी लगे तभी उसे खरीदें (पैसा होना भी ज़रूरी है)। लिस्ट में सामान नोट करते रहने से जागरूकता आती है और सामान लेना टाल देने के कारण आपकी आदत पर कुछ लगाम लगती है।
* परिवार के साथ दूसरे तरीकों से समय व्यतीत करें – कई घरों में हफ्ते में एक बार या महीने में दो-तीन बार बाज़ार जाने का रिवाज़ होता है। बाज़ार जाते हैं तो ज़रूरी के साथ-साथ गैरज़रूरी सामान भी ले ही लेते हैं। हर परिवार में कोई-न-कोई तो पैसा-उडाऊ होता ही है। बाज़ार जाने के बजाय कहीं और जाने की आदत डाल लें जैसे पार्क या मन्दिर। अपने जान-पहचानवालों के घर भी जा सकते हैं।
* किफायत से चलनेवाले को खरीददारी करने दें – अभी भी मेरी आदतन ज्यादा खर्च करने की प्रवृत्ति पर पूरा नियंत्रण नहीं हुआ है। भगवान का शुक्र है कि मेरी पत्नी किफायत से चलती है, इसीलिए मैं खरीददारी के लिए उसे आगे कर देता हूँ। वो मोल-भाव करने में भी एक्सपर्ट है। बंधी मुठ्ठी से चलना पैसा बचाता है।
पैसा खर्च करने पर नियंत्रण करने, किफायत से चलने, और पैसा बचाने के दूसरे तरीकों पर आगे और चर्चा करेंगे। तब तक के लिए, पढ़ते रहिये।
Photo by Jeremy Paige on Unsplash
थ्रिफ्ट और फ्रूगेलिटी विपन्नता की नहीं समर्थता की आदते हैं। उनपर जोर दे कर आप बहुत अच्छी बात कर रहे हैं!
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बहुत अच्छे और उपयोगी सुझाव।
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GOOD TIPS
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खर्च कि कोई सीमा नहीं होती परन्तु बचत कमाई का दूसरा नाम है ।
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