इकक्यु नामक एक ज़ेन साधक बचपन से ही बहुत विद्वान् थे। उनके गुरु के पास एक बेजोड़ और बेशकीमती चाय का कप था। एक दिन साफ़-सफाई के दौरान इकक्यु से वह कप टूट गया। इकक्यु परेशान हो गए। उन्हें अपने गुरु के आने की आहट सुनाई दी।
इकक्यु ने कप को अपने पीछे छुपा लिया। गुरु के सामने आ जाने पर उन्होंने पूछा – “लोग मरते क्यों हैं?”
“मरना तो प्राकृतिक है” – गुरु ने कहा – “हर वह चीज़ जिसकी उम्र हो जाती है वह मर जाती है।”
इकक्यु ने गुरु को टूटा हुआ कप दिखाया और बोले – “आपके कप की भी उम्र हो चली थी.”
bahut khub:)sachha jawab
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मुत्यु एक अटल सत्य है , जो हर किसी की आनी है .
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