एक आदमी के बगीचे में एक पेड़ था। बगीचा छोटा था और पेड़ ने उसे पूरी तरह से ढंक रखा था। एक दिन आदमी के पड़ोसी ने उससे कहा – “ऐसे पेड़ मनहूस होते हैं। तुम्हें इसे काट देना चाहिए।” आदमी ने पेड़ को काट दिया और उसके जलावन के लठ्ठे बना दिए। लठ्ठे इतने ज्यादा थे कि पूरा बगीचा उनसे भर गया। बगीचे के पौधे और फूल लठ्ठों के नीचे दबकर ख़राब होने लगे। आदमी के पड़ोसी ने उससे कहा – “इन लठ्ठों को मैं ले लेता हूँ ताकि तुम्हारे पौधे और फूल सही-सलामत रहें।”
कुछ दिनों के बाद आदमी के मन में विचार आया – “शायद मेरा पेड़ मनहूस नहीं था। जलावन की लकड़ी के लालच में आकर पड़ोसी ने मेरा अच्छा-भला पेड़ कटवा दिया।” – वह लाओ-त्ज़ु के पास इस बारे में राय लेने के लिए गया। लाओ-त्ज़ु ने मुस्कुराते हुए कहा – “जैसा कि तुम्हारे पड़ोसी ने कहा था, वह पेड़ वास्तव में मनहूस था क्योंकि उसे अब काटकर जलाया जा चुका है। यह उस पेड़ का दुर्भाग्य ही था कि वह तुम जैसे मूर्ख के बगीचे में लगा था।”
यह सुनकर आदमी बहुत दुखी हो गया। लाओ-त्ज़ु ने उसे सांत्वना देते हुए कहा – “अच्छी बात यह है कि तुम अब उतने मूर्ख नहीं हो; तुमने पेड़ को तो खो दिया लेकिन एक कीमती सबक सीख लिया है। इस बात को हमेशा ध्यान में रखना कि जब तक तुम स्वयं अपनी समझ पर भरोसा न कर लो तब तक किसी दूसरे की सलाह नहीं मानना।”
Photo by Jackson Hendry on Unsplash
शायद इसीलिए कहा जाता है कि बिना बिचारे जो करे, सो पीछे पछताए।प्रेरक कहानी, आभार।
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बहुत ही प्रेरणादायी. आभार
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सही कहा उन्होंने “स्वयं अपनी समझ पर भरोसा न कर लो तब तक किसी दूसरे की सलाह नहीं मानना”.
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bahut sahi kaha,khud pebharosa ho.achi lagi kahani.
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हम रोजमर्रा की जिंदगी में ऐसी कई बेवकूफियां करते हैं। हां सीखना इससे भी अधिक महत्वपूर्ण है। 🙂
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अपने विवेक को जागृत कर उस पर भरोसा करना सफल जीवन की कुंजी है -सुनो सबकी करो अपने मन की.
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yes it,s right
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“Manhus” Kuch nahi hota, Man ko zo achha laga wah lucky aur zo bura wah manhus. socho tumehe kiya sochna hai. nice story.
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bahut sahi kaha, mere dost….
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