घर का उपहार

किसी बड़ी भवन निर्माण कंपनी में काम करनेवाला मुख्य इंजीनियर जल्द ही रिटायर होनेवाला था। उसने कंपनी के मालिक से कहा कि अब वह जल्द ही रिटायर होकर अपने परिवार के साथ आनंद से रहेगा हांलाकि रिटायर होने के बाद उसे घर चलाना मुश्किल हो जाएगा और किराये के मकान में रहना पड़ेगा।

कंपनी के मालिक ने उससे कहा कि वह चाहे तो कंपनी में कुछ समय और काम कर सकता है। वह इतने अच्छे इंजीनियर को कंपनी से जाने नहीं देना चाहता था। इंजीनियर ने बार-बार कहा कि अब उससे और काम करते नहीं बनता और उसे आराम दे दिया जाए। मन मसोसकर मलिक ने उससे कहा कि रिटायर होने से पहले एक बहुत बढ़िया घर बना दो जो उसे इंजीनियर की हमेशा याद दिलाता रहे।

इंजीनियर ने उस समय तो हां कर दी लेकिन काम में उसका दिल नहीं लग रहा था। उसने बहुत औसत दर्जे का नक्शा बनाया और कारीगरों से भी बेहतर काम नहीं करवाया। वह बनते हुए घर का निरीक्षण करने भी नहीं जाता था। ठेकेदार और मजदूरों ने इसका फायदा उठाया और घर में घटिया सामग्री लगाई। वह घर जैसे-तैसे इंजीनियर के रिटायर होते-होते बन ही गया।

घर के पूरी तरह तैयार हो जाने पर कंपनी का मालिक उसे देखने आया। उसने घर को देखा। फ़िर उसने घर के दरवाज़े की चाबी इंजीनियर को देते हुए कहा – “यह घर आपको मेरी ओर से उपहार है। अब यह घर आपका है।”

इंजीनियर यह सुनकर स्तब्ध रह गया। यदि उसे पता होता कि मालिक वह घर उसे उपहार में देनेवाले हैं तो वह इसे सबसे अच्छी तरह से बनाता। लेकिन अब कुछ नहीं हो सकता था।

Photo by Jessica Furtney on Unsplash

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