एक स्थान पर कई मुस्लिम धर्मगुरु एकत्र हुए और कई विषयों पर चर्चा करते-करते उनमें इस बात पर विवाद होने लगा कि शवयात्रा के दौरान ताबूत के दायीं ओर चलना चाहिए या बायीं ओर चलना चाहिए।
इस बात पर समूह दो भागों में बाँट गया। आधे लोगों का कहना था की ताबूत के बायीं ओर चलना चाहिए जबकि बाकी लोग कह रहे थे कि बायीं ओर चलना चाहिए। उन्होंने मुल्ला नसीरुद्दीन को वहां आते देखा और उससे भी इस विषय पर अपनी राय देने के लिए कहा। मुल्ला ने उनकी बात को गौर से सुना और फ़िर हँसते हुए कहा – “ताबूत के दायीं ओर चलो या बायीं और चलो, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। सबसे ज़रूरी बात यह है कि ताबूत के भीतर मत रहो!”
Photo by Scott Rodgerson on Unsplash
:))Nice.
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शिक्षक दिवस की हार्दिक शुभ कामनाएँ!
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