नोबुगिशे नामक एक सैनिक ज़ेन गुरु हाकुइन के पास आया और उसने उनसे पूछा – “क्या स्वर्ग और नर्क वास्तव में होते हैं?”
“तुम कौन हो”? – हाकुइन ने पूछा।
सैनिक ने उत्तर दिया – “मैं समुराई हूँ”।
“तुम सैनिक हो?” – हाकुइन ने आश्चर्य से कहा – “तुम्हारे जैसे व्यक्ति को कौन राजा अपना सैनिक बनाएगा? तुम भिखारी की तरह दिखते हो”।
नोबुगिशे को यह सुनकर इतना क्रोध आया कि उसका हाथ अपनी तलवार की मूठ पर चला गया। हाकुइन ने यह देखकर कहा – “अच्छा! तो तुम्हारे पास तलवार भी है! लेकिन इसमें इतनी धार नहीं कि यह मेरा सर कलम कर सके”।
अब नोबुगिशे ने तलवार झटके से म्यान से निकाल ली। हाकुइन ने कहा – “देखो, नर्क का द्वार खुल गया”।
यह सुनते ही समुराई को हाकुइन का मंतव्य समझ में आ गया। उसने तलवार नीचे रख दी और गुरु के समक्ष दंडवत हो गया।
हाकुइन ने कहा – “देखो, स्वर्ग का द्वार खुल गया”।
Photo by Scott Webb on Unsplash
bahut sundar..isi tarah hame kathaayen sunaate rahe…
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bahut gahraa asar karti he ye zen kathayen, aapka bahut abhar.
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कम में ढेर, पूरा काम का ! सही उपचार प्रश्न का !
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अद्भुत कथा…..जितनी बार पढ़ो उतनी बार रोचक और प्रेरक
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