एक शेर जंगल में शिकार पर निकला हुआ था। एक बदकिस्मत लोमडी अचानक उसके सामने आ गई। लोमडी को अपनी मौत बेहद करीब जान पड़ रही थी लेकिन उसे खतरा उठाते हुए अपनी जान बचाने की एक तरकीब सूझी।
लोमडी ने शेर से रौब से कहा – “तुममें मुझे मारने की हिम्मत है!?”
ऐसे शब्द सुनकर शेर अचंभित हो गया और उसने लोमडी से पूछा कि उसने ऐसा क्यों कहा। लोमडी ने अपनी आवाज़ और ऊंची कर ली और अकड़ते हुए बोली – “मैं तुम्हें सच बता देती हूँ, ईश्वर ने मुझे इस जंगल और इसमें रहने वाले सभी जानवरों का राजा बनाया है। यदि तुमने मुझे मारा तो यह ईश्वर की इच्छा के विरुद्ध होगा और तुम भी मर जाओगे, समझे?”
लोमडी ने देखा कि शेर को कुछ संदेह हो रहा था, वह फ़िर बोली – “चलो इस बात की परीक्षा ले लेते है। हम साथ-साथ जंगल से गुज़रते हैं। तुम मेरे पीछे-पीछे चलो और देखो कि जंगल के जानवर मुझसे कितना डरते हैं।”
शेर इस बात के लिए तैयार हो गया। लोमडी शेर के आगे निर्भय होकर जंगल में चलने लगी। ज़ाहिर है, लोमडी के पीछे चलते शेर को देखकर जंगल के जानवर भयभीत होकर भाग गए।
लोमडी ने गर्व से कहा – “अब तुम्हें मेरी बात पर यकीन आया?”
शेर तो निरुत्तर था। उसने सर झुकाकर कहा – तुम ठीक कहती हो। तुम ही जंगल की राजा हो।”
Photo by Kyle Glenn on Unsplash
प्रेरणाप्रद कहानी है, शुक्रिया।
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“बुद्धिर्यस्य बलं तस्य” – संस्कृत पढ़े हुये काफी दिनों के बाद पुनः याद आ गया!
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Abhi dimag v chalani chahiye bhagwan ne un hi nahi di h dimag
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dimag hi sabse bada hathiyar he.
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niiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiiicccccccccc story yaar maan na padega
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