जापानी ज़ेन गुरु सुजुकी रोशी की एक शिष्या ने एक दिन रोशी से एकांत में कहा कि उसके ह्रदय में रोशी के लिए अतीव प्रेम उमड़ रहा था और वह इससे भयभीत हो गई थी.
“घबराओ नहीं” – रोशी ने कहा – “अपने गुरु के प्रति तुम किसी भी प्रकार की भावना रखने के लिए स्वतन्त्र हो… और जहाँ तक मेरा प्रश्न है, मुझमें हम दोनों के लिए पर्याप्र संयम और अनुशासन है”.
Photo by Alexandra Seinet on Unsplash
ज्ञान ही वह अनुशासन है, जो निर्भय कर रहा!
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