जापानी ज़ेन गुरु सुजुकी रोशी के एक शिष्य ने उनसे एक दिन पूछा – “जापानी लोग चाय के प्याले इतने पतले और कमज़ोर क्यों बनाते हैं कि वे आसानी से टूट जाते हैं?”
सुजुकी रोशी ने उत्तर दिया – “चाय के प्याले कमज़ोर नहीं होते बल्कि तुम्हें उन्हें भली-भांति सहेजना नहीं आता। स्वयं को अपने परिवेश में ढालना सीखो, परिवेश को अपने लिए बदलने का प्रयास मत करो।”
Photo by Joanna Kosinska on Unsplash
वहीं का सूक्ति वाक्य है जहाँ के लोगों ने प्रकृति की भीषण मारें झेल ली हैं, स्वयं को परिवेशानुकूल करके!
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