बहुत समय पुरानी बात है। किसी नगर में एक बहुत धनी व्यक्ति रहता था। उसका घर बहुत बड़ा था लेकिन घर से बाहर निकलने का दरवाज़ा सिर्फ़ एक था। एक दिन घर के किसी कोने में आग लग गई और तेजी से घर को अपनी चपेट में लेने लगी। धनी के बहुत सारे बच्चे थे – शायद 10 से भी ज्यादा। वे सभी एक कमरे में खेल रहे थे। उन्हें पता नहीं था कि घर में आग लग चुकी थी।
आदमी अपने बच्चों को बचने के लिए उस कमरे की तरफ़ भगा जहाँ बच्चे खेल रहे थे। उसने उन्हें आग लगने के बारे में बताया और जल्दी से घर से बहार निकलने को कहा। लेकिन बच्चे अपने खेल में इतने डूबे हुए थे कि उनहोंने उसकी बात नहीं सुनी। आदमी ने चिल्ला-चिल्ला कर कहा कि अगर वे घर से बाहर नहीं निकले तो आग की चपेट में आ जायेंगे! बच्चों ने यह सुना तो मगर वे स्तिथि की गंभीरता नहीं समझ सके और वैसे ही खेलते रहे।
फ़िर उनके पिता ने उनसे कहा – “जल्दी बाहर जाकर देखो, मैं तुम सबके लिए गाड़ी भर के खिलोने लेकर आया हूँ! अगर तुम सब अभी बहार नहीं जाओगे तो दूसरे बच्चे तुम्हारे खिलौने चुरा लेंगे!
इतना सुनते ही बच्चे सरपट भाग लिए और घर के बाहर आ गए। उन सबकी जान बच गई।
इस कहानी में पिता बोधिप्राप्त गुरु है और बच्चे साधारण मानवमात्र।
Photo by Andy Watkins on Unsplash
Bahut badhia.
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बहुत अच्छी कहानी सुनायी आपने ….आगे भी इंतजार रहेगा।
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गुरु ही जानता है कि ग्यान-सिद्ध बनाने में कितनी मेहनत पड़ती है!
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