तुम्हारी आत्मा, चेतना, और जीवन दिव्यता का अंश है. यह ईश्वर का ही विस्तार है. तुम स्वयं को ईश्वर तो नहीं कह सकते पर ईश्वर से एकात्म्य तुम्हारा जन्मसिद्द अधिकार है. पानी की एक बूँद सागर नहीं हो सकती लेकिन यह सागर से ही निकली है और इसमें सागर के सारे गुण हैं. ~ एकहार्ट टोल
“कोई भी तुम्हें यह नहीं बता सकता कि तुम कौन हो, क्या हो. वह जो कुछ भी कहेगा वह एक नयी अवधारणा होगी, इसलिए वह तुम्हें बदल न सकेगी. तुम जो भी हो इसका संबंध किसी मान्यता से नहीं है. वास्तव में, हर मान्यता, हर विश्वास एक अवरोध ही है. तुम्हें इसके लिए बोधिसंपन्न होने की आवश्यकता भी नहीं है क्योंकि तुम उसके साथ ही जन्मे हो. लेकिन जब तक तुम्हें इस तथ्य का ज्ञान नहीं होता तब तक तुम इस जगत में अपनी आभा नहीं बिखेर सकते. तुम्हारा बोध, तुम्हारी जागृति वही कहीं छुपी रहती है जो तुम्हारा वास्तविक आश्रय है. यह ऐसा ही है जैसे कोई दरिद्र व्यक्ति सड़कों पर ठोकर खाने के लिए बाध्य हो और उसे इस बात का पता ही न हो कि उसके नाम कहीं एक खाता भी खुला है जिसमें लाखों करोड़ों रुपये उसकी राह देख रहे हैं.”
“जीवन के प्रति किसी भी प्रतिरोध का न होना ही ईश्वरीय कृपा, आत्मिक शांति और सहजता की दशा है. जब यह दशा उपलब्ध हो तो आसपास बिखरे हुए संसार के शुभ-अशुभ का द्वंद्व मायने नहीं रखता. यह विरोधाभास प्रतीत होता है पर जब नाम-रूप आदि पर हमारी आतंरिक निर्भरता समाप्त हो जाती है तब जीवन की बाहरी-भीतरी स्वाभाविक अवस्था अपने शुद्ध रूप में प्रकट होती है. जिन वस्तुओं, व्यक्तियों, और परिस्थितियों को हम अपनी प्रसन्नता के लिए अनिवार्य मानते हैं वे हमारी ओर निष्प्रयास ही आने लगती हैं और हम उनका आनंद मुक्त रूप से उठा सकते हैं… और जब तक वे टिके रहें तब तक के लिए उनके महत्व को आंक सकते हैं. सृष्टि के नियमों के अंतर्गत वे सभी वस्तुएं और व्यक्ति कभी-न-कभी हमारा साथ छोड़ ही देंगीं, आने-जाने का चक्र चलता रहेगा, लेकिन उनपर निर्भरता की शर्त टूट जाने पर उनके खोने का भय नहीं सताएगा. जीवन की सरिता स्वाभाविक गति से बहती रहेगी.”
एकहार्ट टोल जर्मन मूल के कनाडावासी आध्यात्मिक गुरु और बेस्ट सेलिंग लेखक हैं. इनकी दो पुस्तकों यथा The Power of Now और The New Earth की लाखों प्रतियाँ बिक चुकी हैं.
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“उनपर निर्भरता की शर्त टूट जाने पर उनके खोने का भय नहीं सताएगा.”
सुख महसुस करने का सार्थक उपाय
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जीवन में आनंद मिलने का उपाय है ,शांत-चित्त होकर सोचें और आगे बढ़ें !
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जीवन का आनंद भला कैसे जब स्वयं की स्वयं से पहचान ही नहीं,हाँ हम खुद को आनंदमय होन के भुलावे मे अवश्य ही रखते हैं…
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dear madam,
kabhi aapne apne andar ki sabse bari Shakti ko pachanne ki kosi ki hai? yadi nahi to aap kaise kaha sakti hai ki yaha ek bhulawal
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The Power of Now
Every one should read this book and the best part is that it never gets old , every year i read it once and still enjoy it
i was introdued to Eckhart Tolle by TOI when they did a series on him and then i read his books
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पानी की एक बूँद सागर नहीं हो सकती लेकिन यह सागर से ही निकली है और इसमें सागर के सारे गुण हैं
सही कहा की हम सब इश्वर की देन है और उसी में मिल जाएँगे
और ये तो सभी कहते है की भगवान सभी में है, बस चाहिए तो उसे महसूस करने वाला, जिसका दिल निर्मल हो सिर्फ वो ही सब में इश्वर महसूस सकता है
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kya aapka dil bhi nirmal hai?
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जो होता है और जो होना चाहिये, उन दोनों का अन्तर ही हमें व्यग्र किये रहता है।
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एकहार्ट टोल से परिचित कराने के लिए धन्यवाद. “वास्तव में, हर मान्यता, हर विश्वास एक अवरोध ही है. तुम्हें इसके लिए बोधिसंपन्न होने की आवश्यकता भी नहीं है क्योंकि तुम उसके साथ ही जन्मे हो.” ऐसी बात तत्त्वज्ञानी कहते आए हैं. इस क्षण को पूरी तरह जीना मानव की श्रेष्ठतम उपलब्धि है. पुनः आभार.
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हिंदीजन का बदला हुआ रूप मन को भा गया. धन्यवाद , शुभ नवरात्री !
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Real spiritualism is splendoured in this article. We all should think deep over the theme of the article.
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अमृत वचन…वाह..
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