शरीफ़ चोर

Hanging By the Stable

एक रात मुल्ला नसरुद्दीन का गधा चोरी हो गया. अगले दिन मुल्ला ने गधे के बारे में पड़ोसियों से पूछताछ की.

चोरी की खबर सुनकर पड़ोसियों ने मुल्ला को लताड़ना शुरू कर दिया. एक ने कहा, “तुमने रात को अस्तबल का दरवाज़ा खुला क्यों छोड़ दिया?”

दूसरे ने कहा, “तुमने रात को चौकसी क्यों नहीं बरती. तुम होशियार रहते तो चोर गधा नहीं चुरा पाता!”

तीसरे ने कहा, “तुम घोड़े बेचकर सोते हो, तभी तुम्हें कुछ सुनाई नहीं दिया जब चोर अस्तबल की कुंडी सरकाकर गधा ले गया”.

यह सब सुनकर मुल्ला ने फनफनाते हुए कहा, “ठीक है भाइयों! जैसा कि आप सभी सही फरमाते हैं, सारा कसूर मेरा है और चोर बेचारा तो पूरा पाक-साफ़ है”.

There are 19 comments

  1. indowaves

    क्या जमाना आ गया है ?..लोग गधा भी चुराने लगे 🙂 घोर कलियुग आ गया है! प्रलय निश्चित है गुझिया और पापड़ के बीच 🙂 चोर वाकई में गधा था जो गधा चुरा के भागा और वो भी मुल्ला का 🙂

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  2. G Vishwanath

    कुछ पुरानी यादें :
    मेरा बटुआ एक दिन किसी ने बस में चुरा लिया।
    बीवी से कोई सहानुभूति नहीं मिली, उल्टा मुझे ही डाँटने लगी।
    “क्यों सावधान नहीं रह सकते थे बस में चढते समय?”

    १९७३ में, रूडकी विश्वविद्यालय की बात भी याद आ गई।
    होस्टेल से मेरी साईकल की चोरी हुई।
    पुलिस स्टेशन जाकर रपट लिखवाने की कोशिश की।
    उल्टा कोटवाल ने मुझें हीं डाँटा।

    “क्या सरकार हमें हजारों विद्यार्थियों की साईकल पर ध्यान रखने के लिए तनख्वाह देती है? हमें क्या और काम नहीं? पढे लिखे लगते हो। क्या अपने अपने साइकलों पर ध्यान रखना भी आप लोगों को हमें सिखाना होगा? फ़ुटिये, हमें और काम है।

    हम क्या नसीरुद्दीन से कम हैं?

    शुभकामनाएं
    जी विश्वनाथ

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  3. चंदन कुमार मिश्र

    हँसी आई लेकिन मुल्ला नसरुद्दीन की वह कहानी भी है जिसमें वह सड़क पर दूसरे का घोड़ा अपना कहकर बेच देता है और तुरन्त वहाँ से भाग जाता है। इंडोवेव्स की बात भी हास्य ही है और विश्वनाथ साहब तो मुल्ला ही निकले लेकिन वह जवाब जो नसरुद्दीन ने दिया, नहीं दे पाए।

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