कैलटेक (कैलिफोर्निया इंस्टिट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी) ने अलबर्ट आइंस्टाइन को एक समारोह में आमंत्रित किया। आइंस्टाइन अपनी पत्नी के साथ कार्यक्रम में हिस्सा लेने गए। उन्होंने माउन्ट विल्सन पर स्थित अन्तरिक्ष वेधशाला भी देखी। उस वेधशाला में उस समय तक बनी दुनिया की सबसे बड़ी अन्तरिक्ष दूरबीन स्थापित थी।
उतनी बड़ी दूरबीन को देखने के बाद श्रीमती आइंस्टाइन ने वेधशाला के प्रभारी से पूछा – “इतनी बड़ी दूरबीन से आप क्या देखते हैं?”
प्रभारी को यह लगा कि श्रीमती आइंस्टाइन का खगोलशास्त्रीय ज्ञान कुछ कम है। उसने बड़े रौब से उत्तर दिया – “इससे हम ब्रम्हांड के रहस्यों का पता लगाते हैं।”
“बड़ी अजीब बात है। मेरे पति तो यह सब उनको मिली चिठ्ठियों के लिफाफों पर ही कर लेते हैं” – श्रीमती आइंस्टाइन ने कहा।
नाजी गतिविधियों के कारण आइंस्टाइन को जर्मनी छोड़कर अमेरिका में शरण लेनी पड़ी। उन्हें बड़े-बड़े विश्वविद्यालयों ने अपने यहाँ आचार्य का पद देने के लिए निमंत्रित किया लेकिन आइंस्टाइन ने प्रिंसटन विश्वविद्यालय को उसके शांत बौद्धिक वातावरण के कारण चुन लिया।
पहली बार प्रिंसटन पहुँचने पर वहां के प्रशासनिक अधिकारी ने आइंस्टाइन से कहा – “आप प्रयोग के लिए आवश्यक उपकरणों की सूची दे दें ताकि आपके कार्य के लिए उन्हें जल्दी ही उपलब्ध कराया जा सके।”
आइंस्टाइन ने सहजता से कहा – “आप मुझे केवल एक ब्लैकबोर्ड, कुछ चाक, कागज़ और पेन्सिल दे दीजिये।”
यह सुनकर अधिकारी हैरान हो गया। इससे पहले कि वह कुछ और कहता, आइंस्टाइन ने कहा – “और एक बड़ी टोकरी भी मंगा लीजिये क्योंकि अपना काम करते समय मैं बहुत सारी गलतियाँ भी करता हूँ और छोटी टोकरी बहुत जल्दी रद्दी से भर जाती है।”
जब लोग आइंस्टाइन से उनकी प्रयोगशाला के बारे में पूछते थे तो वे केवल अपने सर की ओर इशारा करके मुस्कुरा देते थे। एक वैज्ञानिक ने उनसे उनके सबसे प्रिय उपकरण के बारे में पूछा तो आइन्स्टीन ने उसे अपना फाउंटन पेन दिखाया। उनका दिमाग उनकी प्रयोगशाला थी और फाउंटन पेन उनका उपकरण।
Photo by Aaron Burden on Unsplash
दिलचस्प एवं रोचक!!!
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बहुत रोचक!
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प्रेरक और मनुष्य की असीमित क्षमता एवं कौशल को अभिव्यक्ति करती प्रविष्टि । धन्यवाद ।
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वाह!मुझे बार बार वह व्यंग्य चित्र याद आता है। जिस में अंतरिक्ष में विचरण कर रहे यान का एक यात्री दूसरे को पृथ्वी दिखा कर कहता है-यह वह ग्रह है जहाँ आइंस्टाइन पैदा हुआ था।
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आइंस्टाइन के बारे में बहुत सी बातें ऐसी हैं जो बहुत रोचक हैं। पहले भी कई पढ़ी हैं लेकिन ये सब नई थी। धन्यवाद।
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सच में जीनियस थे।
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सचमुच ज्ञान इन्सान के मस्तिष्क में ही बसता है…
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बड़े लोगों के काम ही बड़े होते हैं, तामझाम नहीं.
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बेहतरीन जानकारी ।
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अत्याधिक रोचक ,मनोरंजक एवं प्रेरक ब्लॉग; मुझे जाने क्यों लग रहा की इससे अधिक कहना आप तथा ब्लॉग की अवमानना एवं अवमूल्यन लगने लगेगी है
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